Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Oct, 2018 01:17 PM
आज से तीन दशक पहले अमेरिकी एयरलाइंस ने यात्रियों की सलाद की प्लेट से ऑलिव ऑयल हटाकर 40 हजार डॉलर बचाए थे। कुछ ऐसा ही कदम अब एयर इंडिया भी उठाने जा रही है।
नई दिल्लीः आज से तीन दशक पहले अमेरिकी एयरलाइंस ने यात्रियों की सलाद की प्लेट से ऑलिव ऑयल हटाकर 40 हजार डॉलर बचाए थे। कुछ ऐसा ही कदम अब एयर इंडिया भी उठाने जा रही है। नकदी के संकट से जूझ रही सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के प्रीमियम यात्रियों को खाने में दी जाने वाली चीज की मात्रा को कम करने का विचार कर रही है। जिससे केटरिंग की लागत 2.5 करोड़ रुपए तक कम हो जाएगी।
सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक इनफ्लाइट केटरर्स फ्लाइट में चीज लोड करते हैं। जिसके बाद कैबिन क्रू उन्हें प्लेट में परोस प्रीमियम यात्रियों को देता है। कई बार ऐसा होता है कि जो चीज एयरलाइंस देती है वह यात्रियों को पसंद नहीं होती और वह उसे लेने से मना कर देेते हैं। इसलिए चीज को मेन्यू से तो खत्म नहीं किया जाएगा लेकिन इसकी मात्रा जरूर कम कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि इससे सालाना 2.5 करोड़ रुपए की बचत होगी।
इसके अलावा एयरलाइंस लागत कम करने के लिए और भी कई तरह के प्रयास कर रही है। जैसे एयर इंडिया का ईंधन में सालाना खर्च 8,500 करोड़ आता है। जो अक्तूबर के अभूतपूर्व 7.3 जेट ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद 65 करोड़ रुपए तक बढ़ गया है। अब इस लागत को कम करने के लिए उड़ान की रफ्तार को कम कर दिया जाएगा। जो पश्चिम से पूर्व की ओर धीमी रफ्तार में उड़ेंगी। जैसे लंदन से दिल्ली की उड़ान।
वहीं सर्दियों के समय में विमान का देरी से उड़ना कोई नई बात नहीं है। साथ ही 14 घंटे के सफर के बाद न्यूयॉर्क से दिल्ली आने वाले विमान में रफ्तार कम कर ईंधन तो बचेगा ही साथ ही विमान भी समय पर पहुंचेगा। विमान को हलका करने के लिए उसमें पीने योग्य पानी 50-75 फीसदी होगा। क्योंकि बहुत कम लोग ऐसे हैं जो क्रू से पीने के लिए पानी मांगते हैं। अधिकतर लोग बोतल वाला पाना ही पीते हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय उड़ान के दौरान कैबिन क्रू को भी 23 किलो के दो बैग ले जाने की अनुमति है। अब एयरलाइंस ने इसे भी कम करने का विचार किया है।