एयरलाइंस के पास नए विमानों के लिए नहीं पायलट!

Edited By Pardeep,Updated: 12 Jul, 2018 04:47 AM

airlines does not have pilots for new planes

देश की विमानन कम्पनियों को वर्ष 2028 तक लगभग 1,000 विमानों की डिलीवरी मिलनी है लेकिन इन्हें उड़ाने के लिए पायलटों की कमी दिख रही है। इंडिगो, स्पाइसजैट, जैट एयरवेज, गोएयर, विस्तारा और एयरएशिया को मार्च 2019 तक बोइंग और एयरबस से लगभग 100 नए विमानों की...

मुम्बई/जालंधर: देश की विमानन कम्पनियों को वर्ष 2028 तक लगभग 1,000 विमानों की डिलीवरी मिलनी है लेकिन इन्हें उड़ाने के लिए पायलटों की कमी दिख रही है। इंडिगो, स्पाइसजैट, जैट एयरवेज, गोएयर, विस्तारा और एयरएशिया को मार्च 2019 तक बोइंग और एयरबस से लगभग 100 नए विमानों की डिलीवरी मिलेगी। 

इन विमानों के लिए फस्र्ट ऑफिसर और कमांडर सहित 800-1000 पायलटों की जरूरत होगी। देश में फर्स्ट ऑफिसर की कमी नहीं है, लेकिन कमांडरों की संख्या कम है। एयरबस ए320 और बोइंग 737 जैसे कम चौड़े विमानों में 2 पायलट (फस्र्ट ऑफिसर और कमांडर या कैप्टन) होते हैं। एविएशन कंसल्टैंसी फर्म सैंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (सी.ए.पी.ए.) के साऊथ एशिया के सी.ई.ओ. कपिल कौल ने बताया कि भारतीय एयरलाइंस को अगले एक वर्ष में 800 से अधिक कमांडरों की जरूरत होगी। कौल ने कहा कि पायलटों की लगभग 30 प्रतिशत कमी हो सकती है। 

एयरलाइंस अपने फस्र्ट ऑफिसरों को ट्रेनिंग देकर कैप्टन में अपग्रेड करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन कई एयरलाइंस ने जरूरत के अनुसार पायलटों की पर्याप्त हायरिंग नहीं की है। इससे आने वाले समय में पायलटों पर काम का बोझ बढऩे की आशंका है। बजट एयरलाइन गोएयर के सी.ई.ओ. कोरनेलस व्रिस्विक ने कहा कि भारतीय एयरलाइन इंडस्ट्री की तेज ग्रोथ की तुलना में देश में तैयार होने वाले पायलटों विशेषतौर पर कमांडरों की संख्या कम है। हमें विदेशी पायलटों पर निर्भर करना होगा। 

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