AGR मामला: भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को जमा किए 8 हजार करोड़

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Feb, 2020 12:45 PM

airtel paid 8 thousand crores more now 17000 crores outstanding

एजीआर पर जारी विवाद के बीच भारती एयरटेल ने 8004 करोड़ की दूसरी किस्त जमा की है। इससे पहले कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपए जमा किए था। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के मुताबिक, एयरटेल पर कुल 35000 करोड़ रुपए का बकाया है। ऐसे में अब एयरटेल को 17000 करोड़ रुपए और...

बिजनेस डेस्कः एजीआर पर जारी विवाद के बीच भारती एयरटेल ने 8004 करोड़ की दूसरी किस्त जमा की है। इससे पहले कंपनी ने 10,000 करोड़ रुपए जमा किए था। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के मुताबिक, एयरटेल पर कुल 35000 करोड़ रुपए का बकाया है। ऐसे में अब एयरटेल को 17000 करोड़ रुपए और चुकाने हैं।

वोडाफोन ने भी 17 फरवरी को 2500 करोड़ रुपए का भुगतान किया था। वोडाफोन आइडिया पर 53000 करोड़ का एजीआर बकाया है। एयरटेल की तरफ से जब पहली किस्त का भुगतान किया गया था, तब कंपनी ने कहा था कि वह सेल्फ असेसमेंट के बाद 17 मार्च से पहले सारा भुगतान कर देगी।

टेलिकॉम कंपनियों का कहना है कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन (DoT) ने एजीआर को लेकर जो आंकड़ा दिया है वह बहुत ज्यादा है। इसमें लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम चार्जेज, इंट्रेस्ट और पेनाल्टी गलत तरीके से कैलकुलेट किए गए हैं। ऐसे में ये कंपनियां टेलिकॉम ट्रिब्यूनल जाने का मन बना चुकी हैं।

डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन्स के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया पर 56709 करोड़ का बकाया है, जबकि कंपनी के सेल्फ असेसमेंट में यह राशि 23000 करोड़ है। एयरटेल पर 39723 करोड़ का बकाया है, लेकिन कंपनी के सेल्फ असेसमेंट में यह राशि 15000 करोड़ रुपए है, जबकि टाटा टेलिकम्युनिकेशन्स पर 14819 करोड़ का बकाया है, और कंपनी के सेल्फ असेसमेंट में यह राशि 2197 करोड़ रुपए है।

क्या है एजीआर?
दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह कंपनियों से बकाया शुल्क की मांग कर रहा है। 

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