Edited By rajesh kumar,Updated: 22 Aug, 2020 12:47 PM
श्रमिक संगठन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने हवाई अड्डों के निजीकरण की शुक्रवार को निंदा की और सरकार से इस कदम को वापस लेने को कहा। संगठन ने एक बयान में कहा, ‘आंख मूंदकर सभी सरकारी संपत्तियों के निजीकरण और बिक्री करने के केंद्र सरकार के...
नई दिल्ली: श्रमिक संगठन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने हवाई अड्डों के निजीकरण की शुक्रवार को निंदा की और सरकार से इस कदम को वापस लेने को कहा। संगठन ने एक बयान में कहा, ‘आंख मूंदकर सभी सरकारी संपत्तियों के निजीकरण और बिक्री करने के केंद्र सरकार के फैसले की एटक कड़ी आलोचना करता है। उसने चेतावनी दी कि यह कदम आम यात्रियों के हितों के खिलाफ है। संगठन ने केंद्र सरकार से इस फैसले को वापस लेने की भी मांग की।’
सरकार ने पिछले साल सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत छह हवाई अड्डों के निजीकरण का फैसला किया था। छह हवाई अड्डों ‘लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी’ के परिचालन का अधिकार अडानी समूह को मिला है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पीपीपी व्यवस्था के तहत जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों को पट्टे पर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
एटक ने कहा कि एक ही कंपनी को हवाई अड्डे देने से इस क्षेत्र में उसका एकाधिकार हो जायेगा, जिससे कंपनी यात्रियों और एयरलाइंस से अतिरिक्त राजस्व वसूलेगी। इसके अलावा, दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों के निजीकरण के साथ पिछले अनुभव से पता चलता है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को आय व राजस्व का नुकसान हुआ है। संगठन ने कहा कि हवाई अड्डों के इस निजीकरण को तुरंत रोका जाना चाहिए क्योंकि इससे यात्रियों और एयरलाइंस दोनों के लिये लागत में बढ़ोतरी होगी।