Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Mar, 2020 01:12 PM
देश में कोरोनावायरस संक्रमण का डर बढ़ने के साथ ही लोगों ने एक बार फिर अपने खर्चे का तरीका बदला है। आपात स्थिति में लोगों की निर्भरता कैश पर बढ़ रही है। इसी के चलते पिछले महीनों की तुलना में मार्च में
बिजनेस डेस्कः देश में कोरोनावायरस संक्रमण का डर बढ़ने के साथ ही लोगों ने एक बार फिर अपने खर्चे का तरीका बदला है। आपात स्थिति में लोगों की निर्भरता कैश पर बढ़ रही है। इसी के चलते पिछले महीनों की तुलना में मार्च में कैश की मांग सबसे ज्यादा रही। रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 13 मार्च को खत्म हुए पखवाड़े में जमाकर्ताओं ने 53,000 करोड़ रुपए की नकदी बैंकों से निकाली है। यह पिछले 16 महीने के मुकाबले नकदी निकालने का सबसे ऊंचा स्तर है।
रिजर्व बैंक के अनुसार, इतनी बड़ी निकासी सिर्फ त्यौहारों या चुनाव के वक्त होती है। बैंकिंग सिस्टम के जरिए जनता को करेंसी सप्लाई करने वाले केंद्रीय बैंक ने बताया कि उसने पिछले 15 दिन में इतना कैश जारी किया है। 13 मार्च तक लोगों के पास कुल 23 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भले ही डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ा है, लेकिन आपात स्थिति के चलते लोगों में सावधानी और डर का पहलू हावी है।
स्टेट बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट एसके घोष ने अपने हालिया रिसर्च नोट में लिखा था कि, लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर जरूरी चीजों की खरीदारी कैश में होगी। अचानक से नकदी की डिमांड बढ़ने की स्थिति में बैंकों को कैश की डिलीवरी सुनिश्चित करनी होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, बैंकों से नकद निकासी में वृद्धि का बैंक जमाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव के समय के दौरान यह बाजार में तरलता की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।