Edited By Supreet Kaur,Updated: 22 May, 2018 11:33 AM
रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सब्सिडियरीज ने नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) के पिछले हफ्ते के आदेश के खिलाफ अपीलेट ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की है, जिसमें इन कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कोर्ट में कार्यवाही शुरू करने की बात कही गई थी। इस बीच,...
नई दिल्लीः रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सब्सिडियरीज ने नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) के पिछले हफ्ते के आदेश के खिलाफ अपीलेट ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की है, जिसमें इन कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कोर्ट में कार्यवाही शुरू करने की बात कही गई थी। इस बीच, अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियां 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के बकाये के लंबे समय से चले आ रहे विवाद को खत्म करने के लिए टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनी एरिक्सन से बात भी कर रही हैं।
इस मामले से वाकिफ एक वकील ने बताया, 'आरकॉम, रिलायंस इंफ्राटेल और रिलायंस टेलिकॉम ने एनसीएलएटी में याचिका दायर करके एनसीएलटी के फैसले पर रोक लगाने की अपील की है। याचिका में कहा गया है कि एरिक्सन ऑपरेशनल क्रेडिटर थी और कंपनी पर उसके बकाए कर्ज को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था।' इस शख्स ने कहा, 'इस बकाए को लेकर विवाद है। इसलिए सेक्शन 9 के तहत कंपनियों के खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स शुरू नहीं की जा सकती।' उन्होंने यह भी बताया कि अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों ने सोमवार को एनसीएलएटी में याचिका दायर की है।
एक अन्य वकील ने बताया कि आरकॉम स्वीडन में एरिक्सन के मुख्यालय से बकाए पर विवाद को सुलझाने के लिए बात कर रही है। आरकॉम ने भी एरिक्सन के साथ विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत की पुष्टि की है। उसने कहा कि इस मामले के सुलझने से उसे इनसॉल्वेंसी प्रोसेस से बाहर निकलने में मदद मिलगी। हालांकि, एरिक्सन, आरकॉम के कर्जदाताओं में से एक एसबीआई से अंडरटेकिंग की मांग कर रही है, जिसमें यह लिखा हो कि अगर टेलिकॉम कंपनी उसका पैसा नहीं चुकाती है तो वह रकम एसबीआई चुकाएगा। इस पर भी दोनों पक्षों के बीच बातचीत चल रही है।