अनिल अंबानी की मदद करेगा SBI, अपना पैसा निकालने को उठाया यह कदम

Edited By Isha,Updated: 16 Feb, 2019 02:26 PM

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कर्जे में फंसे अनिल अंबानी का मदद के लिए भारतीय स्टेट बैंक अहम कदन उठाने जा रही है। एसबीआई ने टेलीकॉम कंपनी की दिवाला कार्यवाही का प्रबंधन करने के लिए रिजाल्यूशन प्रोफेशनल (RP) की पहचान करने और चयन करने के लिए चार

बिजनेस डेस्कः कर्जे में फंसे अनिल अंबानी का मदद के लिए भारतीय स्टेट बैंक अहम कदन उठाने जा रही है। एसबीआई ने टेलीकॉम कंपनी की दिवाला कार्यवाही का प्रबंधन करने के लिए रिजाल्यूशन प्रोफेशनल (RP) की पहचान करने और चयन करने के लिए चार बड़े ऑडिट फर्म और कंसल्टेंट से संपर्क किया है। दरअसल, एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी कि आरकॉम को उसकी संपत्ति बेचने दी जाए ताकि देनदार अपना पैसा वसूल कर पाएं। एसबीआई आरकॉम की संपत्तियों को बेचकर पैसा जमा करने की योजना में शामिल प्रमुख बैंक है। इन बैंकों ने कंपनी की संपत्तियों को बेचकर कर्ज को 18 हजार करोड़ तक लाने की योजना बनाई थी।

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई आरकॉम को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लेने के लिए एक स्वतंत्र कदम उठाने पर विचार कर रही है। हालांकि, कर्ज में डूबी कंपनी आरकॉम ने 4 फरवरी को स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया था कि उसने खुद को NCLT (एनसीएलटी) में जमा करने का फैसला किया क्योंकि वह अपने कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ है। सूत्रों के मुताबिक, कर्ज देने वालों के पास दिवालिया होने की कार्यवाही शुरू करने और आरकॉम की प्रतीक्षा करने का विकल्प भी है। बता दें कि आरकॉम पर बैंकों का 40,000 करोड़ रुपए बकाया है। इस पूरे मामले पर एसीबीआई बैंक के एक अधिकारी का कहना है, किसी खास अकाउंट और उससे संबंधि मामलों पर किए जा रहे काम पर कमेंट नहीं करने की बैंक की नीति है।

वहीं, दूसरी ओर दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्सन ने भी 550 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर पिछले साल मई महीने में आरकॉम को एनसीएसटी में घसीटा। न्यायालय ने पिछले साल 23 अक्टूबर को आरकाम से कहा था कि वह 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करे और ऐसा नहीं करने पर उसे 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा। तय सीमा के भीतर भुगतान नहीं होने पर एरिक्सन ने अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुये सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया कि उन्होंने 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है। एरिक्सन उच्चतम न्यायालय में आरोप लगाया कि रिलायंस समूह के पास राफेल जेट सौदे में निवेश के लिये पैसा है लेकिन वह उनका 550 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में असमर्थ है। इस मामले को लेकर सुनवाई पूरी हो चुकी है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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