सरकार विरोधी पत्रकारों को बार-बार ब्लॉग कर रहा है फेसबुक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Oct, 2018 04:43 PM

anti government content facebook repeatedly blocks journalists

विभिन्न मीडिया घरानों के पत्रकार सरकार विरोधी टिप्पणीयां पोस्ट करने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं।

नई दिल्लीः विभिन्न मीडिया घरानों के पत्रकार सरकार विरोधी टिप्पणीयां पोस्ट करने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं। सरकार विरोधी टिप्पणीयां करने के लिए मशहूर न्यूज पोर्टल के लगभग एक दर्जन पत्रकारों ने पिछले एक पखबारें में फेसबुक पर अपने आप को अवरुद्ध पा रहे हैं।  कुछ पत्रकारों ने हाल ही में अयोध्या मामला सहित अदालत के फैसलों पर टिप्पणीयां की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के बयान पर फिर से विचार करने से इंकार कर दिया कि मस्जिद धर्म का अटूट हिस्सा नहीं है। 

द टेलीग्राफ द्वारा कथित लाकआउट के बारे में पूछे जाने पर फेसबुक के भारत स्थित संचार निदेशक अमृत अहुजा ने जबाव देने के लिए 24 घंटे का समय मांगा था लेकिन रविवार रात तक कोई जवाब नहीं दिया गया। फेसबुक के इस फैसले से ऑनलाइन के पत्रकार भी प्रभावित हुए जिनमें 'जनता' के रिपोर्ट रिफाट जावेद, 'जंजवार' के अजय प्रकाश और प्रेमा नेगी तथा 'कारवां डेली' और 'बोलता हिंदुस्तान' के बहुत से कर्मचारी शामिल हैं। यह सभी मीडिया संस्थान में पोर्टल हैं।

जावेद ने कहा, ''27 सितंबर को सबसे पहले उन पर अंकुश लगाया गया, उन्होंने कहा पिछले वर्ष जब हमने राफेल घोटाले का पर्दाफाश किया था तो हमारा फेसबुक पेज ब्लॉग कर दिया गया था। जब हमने सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया तब हमारा पेज बहाल किया गया। मैंने कोई भड़काऊ टिप्पणी नहीं की थी। 27 सितंबर को अयोध्या फैसले पर कुछ टिप्पणीयां की थी जिसके बाद मेरे अकाउंट को बंद कर दिया गया। जब मैंने नोडल अधिकारी को लिखा तो एक दिन बाद इसे बहाल किया गया। उन्होंने अयोध्या पोस्ट को नहीं हटाया।'' जावेद पहले बीबीसी के साथ काम करते थे।

कारवां डेली और जंजवार जैसे पोर्टलस बुरी तरह प्रभावित हुए थे जिनके फेसबुक पर सबसे अधिक पाठक हैं। दैनिक भास्कर समाचार पत्र के समाचार संपादक प्रेमा नेगी और उनके पति अजय प्रकाश जंजवार के फेसबुक के प्रशासक हैं। प्रकाश ने कहा कि एक अक्तूबर को हमारी 5 रिपोर्ट को फेसबुक द्वारा स्पैम किया गया जिसमें एक खबर दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा एक कार्यकर्त्ता गौतम नवलाखा को रिहा करने के संबंध में थी। 4 अक्तूबर को हमने पाया कि हमारे दोनों निजी खाते बंद कर दिए गए हैं। 
 

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