अमेरिका में पांच भारतीय दवा कंपनियों पर ऐंटी-ट्रस्ट मुकदमा

Edited By Yaspal,Updated: 19 Apr, 2019 09:02 PM

anti trust lawsuit on five indian drug companies in the us

अमेरिका में 5 भारतीय दवाई कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग मुकादमें सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत की पांच बडी फार्मा अरबिंदो फार्मा, डॉक्टर रेड्डी लैब, ऐम्क्योर, ग्लेनमार्क और जायडस जैसी .....

नई दिल्ली: अमेरिका में 5 भारतीय दवाई कंपनियों के खिलाफ अलग-अलग मुकादमें सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत की अरबिंदो फार्मा, डॉक्टर रेड्डी लैब, ऐम्क्योर, ग्लेनमार्क और जायडस जैसी बड़ी फार्मा मुकादमों में शामिल हैं। इन कंपनियों पर क्लास ऐक्शन मुकादमा, ऐंटी-ट्रस्ट मुकादमा और विसल ब्लोअर मुकादमा जैसे मुकादमें चल रहे हैं। कंपनियों पर अरोप लगा है कि कंपनियां कीमतों में टकराव और निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी करती हैं। इसके कारण फार्मा कंपनियों में निवेश पर जोखिम बढ़ने का डर पैदा होने लगा है।

अमेरिका में दवाइयों के कथित व्यावसायिक कीमतों को लेकर 18 जेनरिक फार्मा कंपनियों को ऐंटी-ट्रस्ट मुकदमा चल रहा है। अमेरिका के अब तक के इतिहास में कंपनियों की मिलीभगत का यह अब तक का सबसे बड़ा मामला है। ब्लूमबर्म की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में अब दवाइयों की कीमतों को लेकर छिड़ी यह लड़ाई वॉशिंगटन से इलावा 50 राज्यों तक फैल गई है। कैलिफोर्निया के नए गवर्नर दवाइयों की कीमतों को एक बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। 

इससे पहले यूरोपीय और अमेरिकी दवाई कंपनियों ने इन मकादमों अच्छी खासी कीमत चुकाई है। लेकिन भारतीय फार्मा कंपनियों पर इस कानूनी लड़ाई का कम असर हुआ है। अमेरिका का कहना है कि मिलीभगत से दवाइयों की कीमत बढ़ाना कानूनी अपराध है, और इसके परिणामस्वरूप कंपनियों को दंड के तौर पर बड़ी रकम देनी पड़ सकती है। ऐसी कानूनी लड़ाई की लागत और समझौते का कंपनियों पर बड़ा असर हो सकता है।

सूत्रो के मुताबिक कंपनियों की कुल देनदारी 6 बिलियन डॉलर के पार जा सकती है। यह अब तक सबसे बड़ा ऑन रेकॉर्ड समझौता होगा। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च नेटवर्क स्मार्टकर्मा (जीआईआरएनएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों- डॉक्टर रेड्डी लैब्स, अरबिंदो फार्मा, कैडिला हेल्थकेयर और ग्लेनमार्क से किसी एक की संभावित देनदारी के हिस्से को लेकर को जानकारी प्रपात नही हुई है। लेकिन कंपनी अपने मार्केट कैप्स और अमेरिकी बाजार में एक्सपोजर के चलते हुए हाई रिस्क पर हैं।

अमेरिका में दवाई कंपनियों के खिलाफ सरकार ने एंट्री-ट्रस्ट के अलावा मरीजों के समूहों द्वारा क्लास-ऐक्शन मुकदमा भी किया गया है। सरकार का कहना है कि दवाइयों की कीमतों में हुई अभूतपूर्व वृद्धि के चलते हुए जेनरिक फार्मा कंपनियों की जांच करने पर मजबूर होना पड़ा है। अपनी विसल ब्लोअर नीति के जरिए यूएस एफडीए ने कंपनियों द्वारा भ्रष्टाचार को उजागर ना करने के लिए इन दवा कंपनियों के कर्मचारियों को उचित भत्ते देने का ऑफर किया है। भारतीय फार्मा कंपनियों में निवेश करने वालों के लिए यह समय बड़ा जोखिम भरा है। 

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