हजीरा बंदरगाह लाइसेंस: आर्सेलरमित्तल की गुजरात सरकार, एस्सार समूह को न्यायालय में चुनौती

Edited By rajesh kumar,Updated: 27 Jul, 2020 12:59 PM

arcelormittal s gujarat government on license for hazira port

आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड (एएमएनएसआईएल) ने गुजरात सरकार और एस्सार बल्क टर्मिनल लिमिटेड के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर हजीरा बंदरगाह लाइसेंस को अपने नाम पर हस्तांतरित किये जाने की मांग की है।

अहमदाबाद: आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया लिमिटेड (एएमएनएसआईएल) ने गुजरात सरकार और एस्सार बल्क टर्मिनल लिमिटेड के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर हजीरा बंदरगाह लाइसेंस को अपने नाम पर हस्तांतरित किये जाने की मांग की है। एक दिवालाशोधन प्रक्रिया के तहत एस्सार स्टील को खरीदने के चंद दिनों के भीतर, एएमएनएसआईएल ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड को एक आवेदन किया था, जिसमें अनुरोध किया गया था कि लाइसेंस उसे हस्तांतरित किया जाए।

हालांकि, सरकार को इस मामले पर अभी फैसला करना बाकी है, एएमएनएसआईएल ने अदालत से गुहार लगायी है कि एस्सार बल्क टर्मिनल लिमिटेड (ईबीटीएल) एक नॉमिनी या ट्रस्टी के रूप में कैप्टिव लाइसेंस रखती है। आर्सेलर मित्तल निप्पॉन ने अनुच्छेद 226 के तहत यह याचिका दायर की है। आर्सेलर मित्तल ने इस बार में प्रतिक्रिया के लिये भेजे गये ईमेल और फोन कॉल का जवाब नहीं दिया। एस्सार स्टील के पास गुजरात के हजीरा में एक करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता का इस्पात संयंत्र है। इसे बंदरगाह पर निर्मित निजी इस्तेमाल वाले घाट (जेट्टी) से सुविधाएं प्राप्त होती है।

इस बारे में संपर्क किये जाने पर एस्सार पोर्ट्स के एक अधिकारी ने कहा, "यह अफसोसजनक है कि आर्सेलर मित्तल और निप्पॉन स्टील इस तरह के घिनौने और कानूनी रूप से अस्थिर दावे को आगे बढ़ा रही हैं। आर्सेलर मित्तल आदतन ऐसा कर रही है। हमें आश्चर्य है कि निप्पॉन स्टील भी इस तरह के दृष्टिकोण का समर्थन कर रही है। उनका दावा पार्टियों के बीच हस्ताक्षरित समझौतों का उल्लंघन है और उनके द्वारा प्रस्तुत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित संकल्प योजना का भी उल्लंघन है। उनका एकमात्र उद्देश्य गैरकानूनी तरीके से लाभ कमाना प्रतीत होता है। हमें इस बात का भरोसा है कि न्यायिक अधिकारी इस तथ्य पर गौर करेंगे और याचिका पर उसी हिसाब से सुनवाई करेंगे।’’

आर्सेलर मित्तल इससे पहले एस्सार बल्क टर्मिनल लिमिटेड द्वारा गुजरात सरकार की नयी बंदरगाह नीति को चुनने का भी विरोध कर चुकी है। एस्सार बल्क टर्मिनल लिमिटेड ने भी गुजरात सरकार के पास इस बात की शिकायत की है कि आर्सेलर मित्तल और निप्पॉन स्टील 450 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान में चूक कर रही हैं, जो बंदरगाह का बकाया है। एस्सार स्टील के कार्यकारी ने पूछे जाने पर बताया कि हजीरा बंदरगाह दिवालाशोधन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं था। दिवालाशोधन प्रक्रिया सिर्फ इस्पात संयंत्र के लिये थी।


 

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