Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Jul, 2022 05:37 PM
चालू खरीफ सत्र में धान की बुआई का रकबा अब तक 17.4 प्रतिशत कम है जबकि दलहन, मोटे अनाज और तिलहन का खेती का रकबा सात-नौ प्रतिशत तक अधिक हो चुका है। कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी 15 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा खरीफ सत्र में अब तक धान की बुआई...
नई दिल्लीः चालू खरीफ सत्र में धान की बुआई का रकबा अब तक 17.4 प्रतिशत कम है जबकि दलहन, मोटे अनाज और तिलहन का खेती का रकबा सात-नौ प्रतिशत तक अधिक हो चुका है। कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी 15 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा खरीफ सत्र में अब तक धान की बुआई 128.50 लाख हेक्टेयर तक जा पहुंची है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इससे अधिक क्षेत्रफल 155.53 लाख हेक्टेयर में बुआई की गई थी।
धान की खेती के रकबे में सुधार पिछले एक सप्ताह में काफी हुआ है। गत आठ जुलाई को बुआई 24 प्रतिशत कम आंकी गई थी। धान के रकबे में इस कमी की भरपाई करने में इस महीने की बारिश काफी अहम होगी। हालांकि समीक्षाधीन अवधि के दौरान दलहन की बुआई का रकबा 66.69 लाख हेक्टेयर से नौ प्रतिशत बढ़कर 72.66 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं मोटे अनाजों के बुआई का रकबा 87.06 लाख हेक्टेयर से आठ प्रतिशत बढ़कर 93.91 लाख हेक्टेयर हो गया है। गैर-खाद्यान्न श्रेणी में तिलहन की बुआई का रकबा 124.83 लाख हेक्टेयर से 7.38 प्रतिशत बढ़कर 134.04 लाख हेक्टेयर हो गया है। तिलहन के तहत सोयाबीन का रकबा 90.32 लाख हेक्टेयर से 10 प्रतिशत बढ़कर 99.35 लाख हेक्टेयर हो गया है।
कपास का रकबा अब तक 6.44 प्रतिशत बढ़कर 102.8 लाख हेक्टेयर हो गया है। गन्ने का रकबा 53.70 लाख हेक्टेयर से मामूली रूप से घटकर 53.31 लाख हेक्टेयर रह गया है। जूट और मेस्टा का कुल रकबा मामूली गिरावट के साथ 6.89 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की समान अवधि में 6.92 लाख लाख हेक्टेयर था। खरीफ फसलों की बुआई का कुल रकबा पिछले साल की इसी अवधि में 591.3 लाख हेक्टेयर था चालू खरीफ सत्र में 15 जुलाई को मामूली बढ़त के साथ 592.11 लाख हेक्टेयर हो गया है।
खरीफ फसलों की बुआई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है। धान खरीफ की प्रमुख फसल है। तिलहन का अधिक बुआई क्षेत्रफल देश के लिए शुभ संकेत है क्योंकि इससे घरेलू उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के अलावा आयात में भी कमी आ सकती है। भारत खाद्य तेल के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। देश अपनी घरेलू जरूरत का लगभग 60 प्रतिशत आयात से पूरा करता है। तेल वर्ष 2020-21 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान खाद्य तेलों का आयात रिकॉर्ड 1.17 लाख करोड़ रुपए रहा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की हुई है।