Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jul, 2020 06:27 PM
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां देश के लिए आयात निर्भरता कम करने, निर्यात बढ़ाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा 12 क्षेत्र हैं जहां काम...
नई दिल्लीः वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां देश के लिए आयात निर्भरता कम करने, निर्यात बढ़ाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा 12 क्षेत्र हैं जहां काम काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इनमें खाद्य प्रसंस्करण, जैविक खेती, लोहा, एल्यूमिनियम और तांबा, कृषि रसायन, इलेक्ट्रानिक्स, औद्योगिकी मशीनरी, फर्नीचर, चमडा और जूते, वाहन कलपुर्जे, कपड़े और कोविड-19 किट (कवरआल), मास्क, सेनिटाइजर और वेंटीलेटर्स-शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने एक बड़ा पाठ पढ़ाया है कि कुछ भूक्षेत्रों के ऊपर जरूरत से ज्यादा निर्भरता से संकट के समय में समस्या खड़ी हो सकती है। बांबे चैबर आफ कामर्स की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा, ‘‘हमने अपने स्तर पर ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है जहां आयात का विकल्प और निर्यात की संभावनाएं बड़े पैमाने पर मौजूद हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि हम सभी मिलकर यह कर सकते हैं हम और क्षेत्रों को देख रहे हैं और आपसे भी आग्रह करता हूं कि नए क्षेत्रों की तरफ ध्यान दें जहां हम वास्तव में भारतीय विनिर्माण को बढ़ावा दे सकते हैं।''
उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न आंकड़े और संकेतक बता रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है। उन्होंने कुछ उदाहरण देते हुये कहा कि रेलवे से माल परिवहन, बिजली की खपत, सीमेंट उद्योग में परिचालन और निर्यात के आंकड़े ‘‘स्पष्ट तौर पर यह बता रहे हैं कि हम काफी तेजी के साथ कामकाज के एक तर्कसंगत स्तर की तरफ बढ़ रहे हैं।'' हालांकि, उन्होंने कहा कि पर्यटन, आतिथ्य सत्कार, उड्डयन और सार्वजनिक परिवहन जैसे कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां कुछ और समय तक चुनौती बनी रहेगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे इस तथ्य की भलीभांति जानकारी है कि हमें ऐसे व्यवस्था बनानी होगी जहां ढांचागत सुविधायें एकदम तैयार हों। हमें सही मायनों में एकल खिड़की मंजूरी व्यवस्था में जाना होगा। हमें व्यवसाय, उद्यमियों को सस्ती दर पर वित्त सुविधा देनी होगी और इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि ढांचागत परियोजनाओं और विनिर्माण कारोबार के लिये दीर्घकालिक वित्त उपलब्ध होना चाहिए।''