नहीं होगा रेलवे और कोल इंडिया का निजीकरण

Edited By ,Updated: 17 Jan, 2015 11:40 PM

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज ट्रेड यूनियनों को आश्वासन दिया कि सरकार की न तो रेलवे की और न ही कोल इंडिया का निजीकरण करने की मंशा है। 11 ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने ...

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज ट्रेड यूनियनों को आश्वासन दिया कि सरकार की न तो रेलवे की और न ही कोल इंडिया का निजीकरण करने की मंशा है। 11 ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बजट इच्छा सूची के साथ वित्त मंत्री से मुलाकात की। इन मांगों में आयकर छूट की सीमा वेतनभोगियों के लिए बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने और लाभ में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश की योजना को तत्काल रोकने की मांगें भी शामिल हैं। 

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में जेटली के हवाले से बताया गया, ‘‘जेटली ने विभिन्न ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि सरकार की न तो रेलवे और न ही कोल इंडिया का निजीकरण करने की मंशा है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान अधिक रोजगार और रोजगार के अवसरों का सृजन करने के अलावा मौजूदा नौकरियों की रक्षा करना और आम आदमी के लिए जीवनयापन को आसान बनाने के लिए बेहतर वातावरण देना है। 

जेटली ने कहा कि सरकार का मकसद संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में काम कर रहे श्रमिक बल के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का सृजन करना है।  उन्होंने कहा कि साल 2004-05 से 2011-12 के बीच रोजगार वृद्धि दर घटकर 0.5 फीसदी पर आई गई जबकि 1999-2000 से 2004-05 के दौरान यह वृद्धि दर 2.8 फीसदी था। 

उन्होंने श्रम क्षेत्र में सरकार द्वारा की गई बड़ी पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि एप्रेंटिस अधिनियम 1961 में संशोधन किया गया ताकि इसे उद्योग जगत और युवाओं के प्रति अधिक उत्साहवद्र्धक बनाया जा सके। ट्रेड यूनियन के नेताओं ने सरकार से आगामी बजट में वेतनभोगी वर्ग के लिए आयकर छूट सीमा बढ़ाकर 5 लाख रपये करने की आज मांग की। वर्तमान में आयकर छूट सीमा 2.5 लाख रपये है।

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