Edited By ,Updated: 18 Jan, 2015 05:16 AM
जन-धन योजना के तहत खुल रहे जीरो बैलेंस खातों ने बैंकों की परेशानी बढ़ा दी है। बैंकों के अनुसार अभी तक खोले गए खातों में से 75 प्रतिशत खातों में जीरो बैलेंस है जबकि जन-धन योजना के ...
नई दिल्ली (एजैंसियां): जन-धन योजना के तहत खुल रहे जीरो बैलेंस खातों ने बैंकों की परेशानी बढ़ा दी है। बैंकों के अनुसार अभी तक खोले गए खातों में से 75 प्रतिशत खातों में जीरो बैलेंस है जबकि जन-धन योजना के तहत बैंकों का कुल निवेश 650 करोड़ रुपए पहुंच चुका है। बैंकों के अनुसार जीरो बैलेंस वाले खातों को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए जरूरी है कि सरकार बैंकों को इन्सैंटिव दे। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जन-धन योजना के तहत 14 जनवरी तक 11.30 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं जिनमें से 8 करोड़ से ज्यादा खातों में जीरो बैलेंस है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बजट पूर्व बैठक में बैंकों ने खास तौर से वित्त मंत्री अरुण जेतली के सामने जीरो बैलेंस खाते का मुद्दा उठाया है। जीरो बैलेंस खातों से 650 करोड़ का बोझ बढ़ा है जबकि सरकार जन-धन के तहत बैंक खाता धारकों को रूपे कार्ड भी दे रही है जिसके जरिए उन्हें बीमा का लाभ मिल रहा है। हालांकि इसके लिए कार्ड जारी होने के बाद 45 दिन के अंदर कम से कम एक बार कार्ड का स्वैप होना जरूरी है। वित्त मंत्रालय के अनुसार 14 जनवरी 2015 तक कुल 11.30 करोड़ खातों में से 9.68 करोड़ रूपे कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
यू.पी.ए. के लिए भी बने थे परेशानी का सबब
वित्त मंत्री के साथ बैठक में भाग लेने वाले एक बैंकर के अनुसार पूर्ववर्ती यू.पी.ए. सरकार के समय भी जीरो बैलेंस खाते परेशानी का सबब बने थे। जीरो बैलेंस खाते खुल तो जाते हैं, लेकिन फिर उनमें कोई लेन-देन नहीं होता है। ऐसे में बैंक के लिए खाते किसी काम के नहीं रह जाते हैं जबकि उनके रखरखाव पर बैंक को लगातार निवेश करना पड़ता है। जन-धन योजना में सरकार ने बीमा का इन्सैंटिव जरूर दिया है। ऐसे में बैंकों को इन्सैंटिव मिलना जरूरी है।