रूई बाजार में मंदी का आया भूचाल

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2015 11:43 PM

article

भारतीय रूई व्यापार जगत के लिए वैसे तो वित्तीय वर्ष 2014-15 पर लक्ष्मी जी के खजाना मंत्री कुबेर जी काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं अब लगता है कि ...

जैतो (रघुनंदन पराशर): भारतीय रूई व्यापार जगत के लिए वैसे तो वित्तीय वर्ष 2014-15 पर लक्ष्मी जी के खजाना मंत्री कुबेर जी काफी नाराज दिखाई दे रहे हैं अब लगता है कि नववर्ष से तो रूई व्यापार जगत पर प्रेत की छाया का ग्रहण ही लग गया है क्योंकि नववर्ष की शुरूआत से ही जिनरों को मंदी का मुंह देखना पड़ा। 
 
सूत्रों के अनुसार 7 जनवरी को रूई बाजार में 1-2 दिनों के लिए तेजी जरूर आई लेकिन इसके उपरांत कपास जिनरों की अभी तक हवा ही निकलती रही। इस दिन पंजाब में रूई के भाव 3505-3515 रुपए मन व हरियाणा में 3445-3460 रुपए मन बने। 
 
सूत्रों के अनुसार गत 20 दिनों के भीतर रूई बाजार में मंदी का भूचाल आ गया है जिससे एक बार तो रूई स्टाकिस्टों (तेजडिय़ों) का जहाज तहस-नहस हो गया क्योंकि रूई कीमतों में 290 से 300 रुपए प्रति मन की भारी गिरावट आ गई है। 
 
इससे तेजड़ियों को काफी आर्थिक झटका लगा है। इससे पहले भी उत्तरी जोन के रूई स्टॉकिस्टों को 2011 में मोटा आर्थिक झटका लगने से उनकी नैया गंगा में डूब गई थी क्योंकि 6700 रुपए मन वाली रूई की कीमतें आधी रह गई थीं जिससे भारतीय रूई व्यापार जगत को कई अरब रुपए की हानि उठानी पड़ी थी। 
 
इस बीच पंजाब काटन फैक्टरी एंड जिनर एसोसिएशन (पंजीकृत) के पूर्व प्रधान भगवान बांसल ने कहा कि कपास जिनरों को 31 मार्च तक ही अपने उद्योग चलाने के लिए संकल्प लेना होगा। वर्ना उनका बर्बादी से बचना मुश्किल है। 3 से 5 लाख रुपए प्रति माह फैक्टरी चलाने का खर्चा पड़ रहा है लेकिन अभी तक कपास जिनरों के कुछ पल्ले नहीं पड़ा है। 
 
आजकल 100 से 150 रुपए प्रति कि्ंवटल कपास पर डिस्पैरिटी चल रही है। स्पिनिंग मिलों को भी यार्न में कोई पड़ता नहीं लग रहा है क्योंकि यार्न की विदेशी मांग काफी कमजोर चल रही है। मिलें हैंड-टू-माऊथ चल रही हैं। बाजार में धन की बड़ी तंगी सता रही है। यार्न की निकासी नहीं होगी तो फिर तेजी कहां से आएगी। विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता चीन लगभग 1 वर्ष से चुप है। भारतीय रूई बाजार पर भारत स्थित मल्टीनैशनल रूई कम्पनियों का दबदबा नजर आ रहा है। 
 
इन कम्पनियों से किसी भी माह की एडवांस रूई बड़ी मात्रा में मिल सकती है। अब लगता है कि भारतीय रूई व्यापार जगत की मार्कीट मल्टीनैशनल कम्पनियां ही चलाएंगी। भारतीय रूई बाजार के मौजूदा हालातों से लगता है कि रूई में फिलहाल मोटी तेजी नहीं है। जिनरों को बाजार का रुख देख कर ही व्यापार करना चाहिए।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!