Edited By ,Updated: 10 Feb, 2015 11:49 AM
आज कल हर घर में गैस सिलैंडर का इस्तेमाल होता है। कई लोग सिलैंडर की पूरी जांच-पड़ताल किए बिना ही सिलैंडर ले लेते हैं।
नई दिल्लीः आज कल हर घर में गैस सिलैंडर का इस्तेमाल होता है। कई लोग सिलैंडर की पूरी जांच-पड़ताल किए बिना ही सिलैंडर ले लेते हैं। क्या आपको पता है आपका गैस सिलैंडर भी एक्सपायर हो सकता है। कई लोगों को जहां सिलैंडर के एक्सपायरी होने की जानकारी नहीं होती वहीं, कई इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
सिलैंडर को लेते समय सिलैंडर की एक्सपायरी डेट जरूर चैक कर लें। यदि लापरवाही की तो यह आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। क्योंकि कई सिलैंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं।
एक्सपायरी डेट पेंट से प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें गड़बड़ी भी संभव है। कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलैंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है। सिलैंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं। गैस कंपनियां 12 महीनों को 4 हिस्सों में बांटकर सिलैंडरों का ग्रुप बनाती हैं।
'ए' ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और 'बी' ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं। ऐसे ही 'सी' ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और 'डी' ग्रुप में अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं।
सिलैंडरों पर इन ग्रुप लेटर के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं। जैसे- 'बी-13' का मतलब सिलैंडर की एक्सपायरी डेट जून, 2013 है। ऐसे ही, 'सी-14' का मतलब सितंबर, 2014 के बाद सिलैंडर का इस्तेमाल खतरनाक है।
यदि एक्सपायर्ड या टेस्टिंग की ड्यू डेट क्रॉस कर चुके सिलैंडरों के वॉल्व से लीकेज का खतरा ज्यादा होता है, जो विस्फोट का कारण बन सकता है। सिलैंडर डिलिवरी के समय भी ऐसे सिलैंडरों से हादसे की आशंका रहती है।
एक्सपायर्ड सिलैंडर मिलने पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलैंडर को बदलवा सकते हैं। गैस एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर खाद्य या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। इसे सेवा में कमी मानते हुए उपभोक्ता फोरम में मामला दायर कर सकते हैं।
नए प्रावधानों के अनुसार गैस कनैक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित बीमे का क्लेम कर सकता है, साथ ही सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है।
इसके लिए दुर्घटना होने के 24 घंटे के भीतर संबंधित एजेंसी व लोकल थाने को सूचना देनी होगी और दुर्घटना में मृत्यु होने पर जरूरी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना होगा।