इन राज्यों में जल्द बढ़ सकते हैं बिजली के दाम!

Edited By ,Updated: 16 Mar, 2015 12:48 PM

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भले ही चुनावी वर्ष में बिजली की आंच उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ी हो, लेकिन हो सकता है कि वित्त वर्ष 2015-16 में बिजली की बढ़ी हुई कीमत की तपिश महसूस करनी पड़ जाए।

नई दिल्लीः भले ही चुनावी वर्ष में बिजली की आंच उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ी हो, लेकिन हो सकता है कि वित्त वर्ष 2015-16 में बिजली की बढ़ी हुई कीमत की तपिश महसूस करनी पड़ जाए। देश के लगभग दर्जन भर राज्यों की तरफ से बिजली की दरों में बढ़ौतरी के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग (एसईआरसी) के समक्ष आवेदन कर दिया गया है।

इसकी मुख्य वजह यह है कि राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का राजस्व अंतर काफी अधिक हो चला है। यानी कि बिजली की खरीद कीमत और बिक्री कीमत में अंतर काफी बढ़ गया है। रेटिंग एजैंसी इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 11 राज्यों की डिस्कॉम के राजस्व का अंतर 253 अरब डॉलर हो गया है। चालू वित्त वर्ष 2014-15 में देश भर की बिजली की दरों में औसतन 6 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है।

राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश ने भी बिजली की दरों में बढ़ौतरी के लिए एस.ई.आर.सी. के समक्ष आवेदन कर दिया गया है जिसमें 10 फीसदी से नीचे बढ़ौतरी किए जाने की बात बताई गई है।

इन राज्यों में बढ़ सकते हैं दाम
इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 में बिजली की दरों में बढ़ौतरी के लिए सिर्फ 15 राज्यों ने एस.ई.आर.सी. के पास आवेदन किए हैं, जबकि बिजली की दरों से जुड़े नियम के मुताबिक राज्यों को नए वित्त वर्ष के लिए 30 नवंबर तक आवेदन करना होता है।

हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश व बिहार की डिस्कॉम ने तो आगामी वित्त वर्ष में बिजली की दरों में 15-26 फीसदी बढ़ौतरी की सिफारिश की है। वहीं आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र व तेलंगाना ने 3-8 फीसदी की बढ़ौतरी का प्रस्ताव रखा है। छत्तीसगढ़, पंजाब व उड़ीसा की तरफ से बिजली की दरों में बदलाव की कोई सिफारिश नहीं की गई है।

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