Edited By ,Updated: 04 Apr, 2015 05:01 PM
रिजर्व बैंक के 80 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में मोदी ने नोट छापने में इस्तेमाल होने वाले कागज और स्याही के स्वदेशी होने की इच्छा जताई है।
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के 80 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में मोदी ने नोट छापने में इस्तेमाल होने वाले कागज और स्याही के स्वदेशी होने की इच्छा जताई है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने कहा कि करेंसी नोट का कागज तैयार करने वाले कारखाने पर काम जल्द ही खत्म होने वाला है। जल्द ही देश में तैयार कागज पर ही नोट छपेंगे।
रिजर्व बैंक के अनुसार, भारत हर साल 2,000 करोड़ करेंसी नोट छापता है। इसकी 40 प्रतिशत लागत कागज और स्याही के आयात में जाती है। ये कागज जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों से आयात किया जाता है।
1938 में 10,000 रुपए का नोट भी छापा गया था। रिजर्व बैंक ने जनवरी 1938 में पहली पेपर करंसी छापी थी, जो 5 रुपए का नोट था। इसी साल 10 रुपए, 100 रुपए, 1,000 रुपए और 10,000 रुपए के नोट भी छापे गए। हालांकि, 1946 में 1,000 और 10,000 हजार के नोट बंद कर दिए गए।
1954 में एक बार फिर से 1,000 और 10,000 रुपए के नोट छापे गए। इस बार 5,000 रुपए के नोट भी छापे गए। हालांकि, 1978 में इसे बंद कर दिया गया। मौजूदा समय में रिजर्व बैंक 10 रुपए, 100 रुपए, 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट छाप सकता है। हाल ही में 1 रुपए के नोट की भी छपाई शुरू हुई है।
इससे पहले 1 रुपए, 2 रुपए और 5 रुपए के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी, क्योंकि इनके लिए सिक्कों को बाजार में उतारा गया था। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक के पास अभी भी 10,000 रुपए के नोट छापने का अधिकार है लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 में थोड़े संशोधन करने होंगे।