Edited By ,Updated: 02 May, 2015 04:58 PM
अप्रैल महीने में देश के कई हिस्सों में हुई बेमौसम बारिश का असर रसोई तक पहुंचने लगा है। तिलहन, दलहन और अनाज के दाम तेजी से बढ़े हैं।
नई दिल्लीः अप्रैल महीने में देश के कई हिस्सों में हुई बेमौसम बारिश का असर रसोई तक पहुंचने लगा है। तिलहन, दलहन और अनाज के दाम तेजी से बढ़े हैं। मसालों में भी महंगाई का तड़का लग चुका है, साथ ही सब्जियों और फलों के दाम भी आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। इससे भी बड़ी चिंता की बात कमजोर मॉनसून की भविष्यवाणी है जिसने महंगाई को हवा देने का काम करना शुरू कर दिया है। अप्रैल महीना किसानों के लिए बहुत ही पीड़ादायक साबित हुआ।
फसल खराब होने से किसान परेशान हैं और अब उनकी परेशानी का दर्द आम आदमी की रसोई तक पहुंच चुका है। बेमौसम बारिश से किसान की फसल खेतों में सड़ रही है, सरकार किसानों की मदद के लिए हरसंभव कोशिश करने का ऐलान कर रही है और राहत पैकेज के जरिए किसानों के दर्द में मरहम लगाने में जुट गई है। कमोडिटी के जानकारों की मानी जाए तो बेमौसम बारिश से 50 फीसदी तक उत्पादन प्रभावित हो सकता है और अब तो सरकार भी मानने लगी है कि हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार के अनुसार 190 लाख हेक्टेयर फसल बरबाद हो गई। यह बरबादी आम आदमी के जेब के साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भारी पडऩे वाली है।
रसोई में इस्तेमाल होने वाला लगभग हर खाद्य पदार्थ महंगा हो गया है। सरकारी (उपभोक्ता मामलों के विभाग) के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अप्रैल में महीने में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में 33 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। देशभर की 71 मंडियों के थोक भावों के आधार पर निकाले गए औसत भाव के अनुसार देश में चना दाल का औसत भाव 4,400 रुपये से बढ़कर 5,200 रुपए, अरहर दाल 7,750 रुपए से 9,000 रुपये, मसूर दाल 6,000 रुपये से बढ़कर 6,800 रुपए क्विंटल हो गई। खाद्य तेलों की कीमतों में भी औसतन 8 फीसदी की बढ़ौतरी हो चुकी है। थोक बाजार में सोया तेल का औसत भाव 7,500 रुपए से बढ़कर 8,000 रुपए किलोलीटर पहुंच गया है। सरसों का तेल 250 रुपए बढ़कर 8,750 रुपए किलोलीटर हो गया।
रोटी और चावल खाना भी महंगा हो गया है। गेहूं की नई फसल मंडियों में आना शुरू हो गई है। इसके बावजूद कीमतें ऊपर की तरफ जा रही हैं। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आकंड़ों के मुताबिक गेहूं के दाम करीब 2 फीसदी चढ़कर 1,600 रुपए प्रति क्विंटल हो गए, जबकि ऊपर की तरफ देखा जाए तो मंडी में गेहूं 3,200 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। गेहूं के दाम बढ़ेंगे तो आटा का भी महंगा होना तय है। चावल की औसत कीमत 4 फीसदी बढ़कर 2,600 रुपए क्विंटल हो गई है। अप्रैल की शुरूआत में थोक बाजार में चावल की अधिकतम कीमत 3,400 रुपए क्विंटल थी जो इस समय 3,700 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है।
महंगाई की दौड़ में मसाले किसी से पीछे नहीं बल्कि सबसे आगे चल रहे हैं। अप्रैल महीने में मसालों की कीमतों में 15-25 फीसदी तक की मजबूती देखने को मिली है। मांग बढऩे की वजह से इस महीने जीरा 18 हजार रुपए तो धनिया 10 हजार रुपए के पार पहुंच गया। ज्यादातर मसालों की कीमतों में लगातार बढ़ौतरी हुई है। जीरा तो अपने सर्वोच्य स्तर पर पहुंच चुका है। पिछले एक महीने में जीरे के भाव करीब 25 फीसदी और धनिए के दाम 16 फीसदी महंगे हुए हैं।
बारिश होने के बावजूद सब्जियां महंगाई के रंग में पूरी तरह रंग चुकी हैं। सरकारी कीमतों को आधार माना जाए तो थोक बाजार में टमाटर की औसत कीमत करीब 34 फीसदी बढ़कर 1,600 रुपये क्विंटल हो गई है। हालांकि प्याज की कीमतों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। जब सबके दाम तेजी से भाग रहे हैं। ऐसे समय आलू का भाव गिरा है। थोक मंडी में औसतन आलू के थोक भाव में 40 फीसदी की कमी दिखाई जा रही है। आलू के दाम गिरकर 600 रुपए क्विंटल हो गए हैं।
लगभग सभी कमोडिटी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी पर ऐंजल ब्रोकिंग के रितेश कुमार साहू कहते हैं कि दरअसल बेमौसम बारिश की वजह से फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है जिसके कारण उत्पादन भी कम होने की आशंका बढ़ गई। ऐसे में कीमतें बढऩा लाजिमी हो जाती हैं लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात मौसम विभाग की भविष्यवाणी है जिसमें मानसून कमजोर होने की बात कही गई है। मानसून कमजोर होता है तो देश की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा। मंडी कारोबारियों का कहना है कि सच्चाई सरकारी आंकड़ों से काफी दूर है। पिछले एक महीने में खाद्य पदार्थों के खुदरा भाव में औसतन 50 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है और आने वाले समय में इसमें और बढ़ौतरी होने वाली है।