नई यूरिया नीति के बारे में उर्वरक मंत्रालय ने मंत्रिमंडलीय परिपत्र जारी किया

Edited By ,Updated: 03 May, 2015 04:32 PM

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उर्वरक मंत्रालय ने नई यूरिया नीति को तैयार करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय परिपत्र जारी किया है जिसका उद्देश्य इस मृदा पोषक तत्व का घरेलू उत्पादन बढ़ाना और उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।

नई दिल्ली: उर्वरक मंत्रालय ने नई यूरिया नीति को तैयार करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय परिपत्र जारी किया है जिसका उद्देश्य इस मृदा पोषक तत्व का घरेलू उत्पादन बढ़ाना और उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।

सूत्रों ने कहा, ''नई यूरिया नीति सहित उर्वरक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दे थे जिन पर इस सप्ताह के आरंंभ में राजनाथ सिंह की अगुवाई वाले मंत्रियों के अनौपचारिक समूह द्वारा विचार विमर्श किया गया। अब इन मुद्दों को मंत्रिमंडल द्वारा लिया जाएगा और इस संदर्भ में एक परिपत्र पहले ही पेश किया गया है।''

सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित नई यूरिया नीति में मंत्रालय संयंत्रों को अधिक ऊर्जा सक्षम बनाकर यूरिया उत्पादन को बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रहा है। इस बीच उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कह रखा है कि सरकार यूरिया कीमतों में कोई वृद्धि किए बगैर उर्वरक क्षेत्र में सुधार लाने को प्रतिबद्ध है। सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित नीति उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल का खाका भी प्रदान करेगा। नाइट्रोजन (एन), फास्फोरस (पी) और पोटाशियम (के) का सही अनुपात चार अनुपात दो अनुपात एक होना चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि नाइट्रोजन प्रदान करने वाले यूरिया को दी जाने वाली अधिक सब्सिडी के कारण इसकी कीमत कम है जबकि बाकी दो तत्व महंगे हैं। इसके परिणामस्वरूप देश में उर्वरकों का इस्तेमाल 8.2 अनुपात 3.2 अनुपात एक में किया जाता है। केंद्र सरकार ने पहले ही तालचेर और रामागुंडम में दो बंद पड़े यूरिया संयंत्रों के पुनरूद्धार के लिए साझा उद्यम बनाकर यूरिया के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने को लेकर कदम उठाये हैं जबकि दो अन्य संयंत्रों के पुनरूद्धार के लिए मंत्रिमंडलीय मंजूरी दी गई है।

केंद्र सरकार ने यूरिया निवेश नीति में भी कुछ परिवर्तन किए हैं जिसके तहत वह नए संयंत्रों की स्थापना की अनुमति देगी। सरकार के नियंत्रण में आने वाले यूरिया की बिक्री बेहद सब्सिडीप्राप्त दर 5,360 रुपए प्रति टन के हिसाब से की जा रही है। अधिकतम खुदरा मूल्य और उत्पादन लागत का अंतर विनिर्माताआें को केंद्र सरकार की आेर से सब्सिडी के रूप में दी जाती है। मौजूदा समय में देश यूरिया की 3 करोड़ टन की वार्षिक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए करीब 80 लाख टन यूरिया का आयात करता है। भारत करीब 2.2 करोड़ टन यूरिया का वार्षिक उत्पादन करता है। 

 

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