जोखिम में आपकी जान, 33% पायलट फेल

Edited By ,Updated: 15 May, 2015 10:21 AM

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जर्मनविंग्स हादसे के बाद सरकारी विमानन सेवा एयर इंडिया ने पायलटों के सख्त मनोवैज्ञानिक परीक्षण की प्रक्रिया शुरू की जिसमें एक तिहाई संभावित पायलट नाकाम साबित हुए।

नई दिल्लीः जर्मनविंग्स हादसे के बाद सरकारी विमानन सेवा एयर इंडिया ने पायलटों के सख्त मनोवैज्ञानिक परीक्षण की प्रक्रिया शुरू की जिसमें एक तिहाई संभावित पायलट नाकाम साबित हुए। विमानन कंपनी के सामने यह कठिनाई आ खड़ी हुई है कि वह एयरबस ए320 के लिए वरिष्ठ प्रशिक्षु पायलट का पद कैसे भरे। एयर इंडिया ने गत फरवरी में 197 पायलटों के लिए विज्ञापन दिया था। इन पायलटों को उन 60 ए320 विमानों में तैनात किया जाना था जो घरेलू उड़ानों पर सेवाएं देते हैं। करीब 260 प्रत्याशियों को पहले दौर की परीक्षा के लिए बुलाया गया जिनमें से 160 को साक्षात्कार के लिए चयनित किया गया। इस साक्षात्कार के बाद ही उनकी नियुक्ति होनी थी। 

बुधवार को एयर इंडिया ने 106 नाम घोषित किए लेकिन अंतिम सूची और कम हो सकती है क्योंकि 19 उम्मीदवारों को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। यानी कंपनी ने 85 पायलटों को चुना है जो वास्तविक जरूरत के आधे से भी कम हैं। ये सभी ऐसे पायलट हैं जिनको पहले से ए320 विमान उड़ाने का अनुभव है। विमानन कंपनियां ऐसे पायलट पसंद करती हैं क्योंकि उनको बिना किसी प्रशिक्षण के सीधे नियुक्ति प्रदान की जा सकती है। एयर इंडिया ने प्रत्याशियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए भारतीय वायु सेना के स्वतंत्र मनोविज्ञानी की सेवाएं लीं। जिन 56 पायलटों को अपात्र घोषित किया गया उनमें से 56 मनोवैज्ञानिक रूप से अयोग्य पाए गए।

गत माह जर्मनविंग्स की एक उड़ान को जानबूझकर फ्रांस की आल्प्स पर्वत शृंखला पर गिरा दिया गया था जिसमें 150 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद ही दुनिया भर में विमानन क्षेत्र के लोगों के बीच पायलट की मनोदशा चर्चा का विषय बन गई। भारत भी इस संबंध में नियम कायदे बनाने जा रहा है। एयर इंडिया के प्रवक्ता जी पी राव के मुताबिक, ''चयन समिति ने जिन प्रत्याशियों को मनोवैज्ञानिक जांच, सिमुलेटर प्रोफिशियेंसी असेसमेंट चेक और साक्षात्कार में उपयुक्त पाया था उन सभी को वरिष्ठï प्रशिक्षु पायलट के पद पर नियुक्ति के लिए पैनल में शामिल कर लिया गया है। पहले भी इस पद के लिए होने वाली नियुक्ति में साक्षात्कार और सिमुलेटर प्रोफिशियेंसी जांच शामिल थी लेकिन यह पहला मौका है जब भारतीय वायु सेना के एक मनोवैज्ञानिक को चयन समिति में शामिल किया गया।''

एयर इंडिया पायलटों की कमी पूरी करने के लिए संघर्षरत है। विमानन कंपनी के कई पायलट नौकरी छोड़कर जा चुके हैं जबकि कई का बोइंग बेड़े में स्थानांतरण कर दिया गया है। कुछ और पायलटों की सेवानिवृत्ति करीब है। राव ने यह भी कहा कि अपात्र पायलटों को मनोवैज्ञानिक की सलाह मानते हुए ही सेवा में शामिल नहीं किया गया है। अगर कोई पायलट मनोवैज्ञानिक रूप से सक्षम नहीं निकला तो वह तमाम परीक्षण पास करने के बाद भी विमान उड़ाने के लिए योग्य नहीं माना गया।

 

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