Edited By ,Updated: 26 May, 2015 11:05 AM
इंडिया इंक भले ही कर्ज के बोझ तले दबा है और कई कंपनियों की ग्रोथ सुस्त बनी हुई है लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार
नई दिल्लीः इंडिया इंक भले ही कर्ज के बोझ तले दबा है और कई कंपनियों की ग्रोथ सुस्त बनी हुई है लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार को इकनॉमिक रिकवरी की कोशिश के लिए उसकी तरफ से वाहवाही मिली है। एक सर्वे द्वारा मोदी सरकार की पहली सालगिरह पर देश के टॉप सीईओ ने अपने विचाक प्रकट किए।
आई.सी.आई.सी.आई. बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर ने कहा, ''पिछले एक साल में सरकार ने जो पहल की है, उससे मैक्रो-इकनॉमी की हालत बेहतर हुई है। जी.डी.पी. ग्रोथ बढ़ी है, महंगाई काबू में है और करेंट एकाऊंट डेफिसिट के मामले में हम बेहतर स्थिति में हैं। सरकार ने पिछले एक साल में कई मामलों में पहल की है। उसका ध्यान सिर्फ फौरी दिक्कतों को दूर करने पर ही नहीं है बल्कि इसमें भारत के लिए एक विजन भी दिखता है।''
कई सीईओ ने महंगाई को काबू में करने और मुश्किल दौर में रुपए को स्टेबल रखने के लिए उनकी तारीफ की। सर्वे में इंडिया इंक ने कहा कि बाहरी फैक्टर्स पर रिजर्व बैंक का कंट्रोल नहीं है और बैंकों के चलते देश में ब्याज दरें ज्यादा हैं। हालांकि, अक्सर राजन की आलोचना इसलिए होती रही है कि वह इंटरेस्ट रेट में तेजी से कटौती नहीं कर रहे हैं और इसी वजह से इकनॉमिक रिकवरी में देरी हो रही है।
सिर्फ 18 फीसदी सीईओ ने कहा कि सरकार ने बोल्ड रिफॉर्म नहीं किए हैं। 59 फीसदी पार्टिसिपेंट्स ने कहा कि उनकी कंपनियां किसी न किसी तरह से कैपेसिटी बढ़ा रही हैं जबकि 66 फीसदी को साल भर में डिमांड रिकवरी की उम्मीद है।
सर्वे के नतीजे से पता चलता है कि सरकार की कोशिशों का असर दिखने लगा है। खासतौर पर करप्शन रोकने के मामले में। सर्वे में शामिल 78 फीसदी सीईओ ने कहा कि सरकार ने करप्शन रोकने की काफी कोशिश की है। सिर्फ 22 फीसदी का कहना था कि हालात अब भी खराब है और इस मामले में काफी कुछ करने की जरूरत है।