Edited By Supreet Kaur,Updated: 23 Aug, 2019 01:00 PM
जम्मू-कश्मीर में बागवानी, विशेषतौर पर सेब के बाग आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं। लेकिन घाटी को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद अघोषित बंद से वहां का कारोबार प्रभावित हो गया है। इस बंद की वजह से घाटी में सेब की खेती पर ज्यादा असर...
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर में बागवानी, विशेषतौर पर सेब के बाग आमदनी का एक बड़ा जरिया हैं। लेकिन घाटी को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद अघोषित बंद से वहां का कारोबार प्रभावित हो गया है। इस बंद की वजह से घाटी में सेब की खेती पर ज्यादा असर पड़ रहा है। फसल सीजन के करीब होने के कारण कश्मीर के सेब उत्पादक काफी चिंतित हैं।
सेब उत्पादकों को चिंता सताने लगी
दक्षिण कश्मीर के दो जिले शोपियां व कुलगाम प्रमुख सेब उत्पादक केंद्र हैं, जहां लोग इसे लेकर चिंतित हैं। स्थानीय सेब उत्पादक अपने बगीचे के सेबों को अनिश्चितता के साथ देखते हैं। सेब एक हफ्ते में पक जाएंगे, लेकिन सरकार की एडवाइजरी के बाद घाटी से व्यापक रूप से गैर कश्मीरियों के चले जाने से उनके मजदूर भी चले गए हैं। उनके मुताबिक उन्हें इस साल भारी नुकसान होगा।
क्रिकेट बैट की बिक्री घटी
अनंतनाग का हल्लमोला इलाका क्रिकेट बैट के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। वहां भी इसी तरह की चिंता सता रही है। बैट बनाने वालों का कहना है कि इन्हें लेने वाला कोई नहीं है। एक बैट निर्माता ने कहा कि हमारा कारोबार पूरी तरह से पर्यटकों और यात्रियों पर निर्भर है। कश्मीर में अभी पर्यटक बिल्कुल नहीं हैं, हमारा व्यापार पूरी तरह से ठप है। हमारे मजदूर चले गए हैं, जबकि बेमौसम बारिश ने हमारे लिए हालात बदतर कर दिए हैं।