'IIT सहित कई संस्थानों को हर साल 50 हजार करोड़ का नुकसान'

Edited By ,Updated: 25 Jun, 2015 10:44 AM

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आजकल सभी विधार्थी उच्च शिक्षा लेना चाहते है इसीलिए (हाई क्वालिटी) की सुविधाओं वाले संस्थानों ..

नई दिल्ली: आजकल सभी विधार्थी उच्च शिक्षा लेना चाहते है इसीलिए (हाई क्वालिटी) की सुविधाओं वाले संस्थानों में लगातार छात्रों की बढौतरी हो रही है। उघोग संगठन एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 6.8 लाख छात्र विदेशी शिक्षा संस्थानों की ओर रुख कर रहे है। 
 
एसोचैम की ओर से 'स्किलिंग इंडिया: एंपावरिंग इंडियान यूथ थ्रू वर्ल्ड क्लास एजुकेशन' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि छाआत्रों के विदेश जाने के चलते आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित घरेलू उच्च संस्थानों को सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपए की रकम से हाथ धोना पड़ रहा है। यह वह राशि है, जो विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्र वहां के संस्थानों को देते हैं। 
 
रिपोर्ट के अनुसार छात्रों के लिए जर्मनी, फ्रांस, इटली, डेनमार्क, स्वीडन, आयरलैंड, कनाडा, चीन और नॉर्वे जैसे देश बेहतर गंतव्य बनकर उभरे हैं और कहा, ''भारतीय अभिभावक विदेशों में पढऩे के लिए गए अपने बच्चों को हर साल छह से सात अरब डॉलर खर्च करते हैं। इस व्यय में केवल उच्च वर्ग के लोगों का ही नहीं बल्कि मध्यमवर्ग के लोगों की जीवनभर की गाढ़ी कमाई भी शामिल है।'' 
 
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए देश से 2.9 लाख छात्र विदेश गए और यह संख्या वर्ष 2015 में बढ़कर 6.8 लाख पर पहुंच गई है। एसोचैम ने कहा, ''उच्च शिक्षा के लिए विदेशी संस्थानों को चुनने का महत्वपूर्ण कारण देश में बेहतर संस्थानों का अभाव और मौजूदा संस्थानों की सीमित सीटों पर बढ़ती जबरदस्त प्रतिस्पद्र्धा है। देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने वाले विश्वविद्यालयों की संख्या काफी कम है, जिस पर वहां प्रवेश पाने की राह में भारी मुश्किलें छात्रों के लिए बड़ी चुनौती हैं।''

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