हिंदुस्तान जिंक, बालको में बिकेगा हिस्सा!

Edited By ,Updated: 17 Jul, 2015 10:57 AM

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पिछले कई साल से अनिल अग्रवाल द्वारा प्रवर्तित हिंदुस्तान जिंक और बालको में हिस्सेदारी बेचने में विफ ल रहने के बाद केंद्र सरकार अब एक बार फिर इस मामले पर आगे बढ़ रही है।

नई दिल्लीः पिछले कई साल से अनिल अग्रवाल द्वारा प्रवर्तित हिंदुस्तान जिंक और बालको में हिस्सेदारी बेचने में विफ ल रहने के बाद केंद्र सरकार अब एक बार फिर इस मामले पर आगे बढ़ रही है। 

सरकार का मानना है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम (पीओसीए) में प्रस्तावित संशोधनों से उसे इन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने के लिए उच्चतम न्यायालय की अनुमति प्राप्त करने में आसानी होगी। अनुमान है कि इन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार चालू वित्त वर्ष में 20,000 करोड़ रुपए जुटा सकती है। 

हिंदुस्तान जिंक और बालको का वेदांत लिमिटेड में विलय होने की संभावना के कारण वित्त मंत्रालय हिंदुस्तान जिंक में सरकार की 29.5 फीसदी और बालको में 49 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का इच्छुक है। वित्त वर्ष 2002-03 में सार्वजनिक उपक्रम रही इन कंपनियों में बहुलांश हिस्सेदारी वेदांत को बेच दी गई थी। 

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ''वेदांत रिसोर्सेज-केयर्न विलय के बाद मुमकिन है कि हिंदुस्तान जिंक और बालको का विलय भी वेदांत में हो जाए। सरकार किसी भी ऐसे सौदे का हिस्सा नहीं बनना चाहती है। इसलिए हम इसी साल इन दोनों कंपनियों में सरकार की बची हुई हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं।'' 

अधिकारी ने बताया कि जब तक सरकार इन दोनों कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच देती तब तक मुमकिन है कि वह किसी भी प्रस्तावित एचजेडएल-बालको-वेदांत विलय का विरोध करे, जैसा कि वह पहले भी करती रही है। 

सरकार पिछले कई साल से इन दोनों कंपनियों में अपनी बाकी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर रही है। पिछले साल उच्चतम न्यायालय में नैशनल कनफेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ सेंटर पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स ने जनहित याचिका दायर कर इस प्रस्तावित विनिवेश को चुनौती दी है। जनहित याचिका में इस फैसले को 'अतार्किक, गैर-कानूनी, अनुचित, गलत मंशा से और एकतरफा बताया है।' इस बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) वर्ष 2002 के दौरान एचजेडएल की मूल बिक्री वेदांत को करने में संभावित अनियमितताओं की जांच कर रही है। 

बालको में हिस्सेदारी बेचने की योजना भी अटकी हुई है। सरकार को उम्मीद है कि पीओसीए में प्रस्तावित संशोधन 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश कर दिए जाएंगे। 

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