Edited By ,Updated: 08 Sep, 2015 10:45 AM
लोकल रेलवे स्टेशन के किसी पुल पर अथवा अन्य शहर में आपको लोकप्रिय उपभोक्ता वस्तुएं मामूली कीमत में बिकती दिख जाएंगी
मुंबईः लोकल रेलवे स्टेशन के किसी पुल पर अथवा अन्य शहर में आपको लोकप्रिय उपभोक्ता वस्तुएं मामूली कीमत में बिकती दिख जाएंगी लेकिन खरीदारी करने से पहले जरा सोच लें- कहीं वे नकली तो नहीं। नकली उत्पादों के खिलाफ रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुएं (एफ.एम.सी.जी.) कंपनियों की जंग के बावजूद देश में नकली उपभोक्ता वस्तुओं का कारोबार बढ़ता जा ही जा रहा है।
परामर्श फर्म के.पी.एम.जी. और उद्योग संगठन फिक्की ने एक हालिया अध्ययन में कहा है कि नकली उपभोक्ता वस्तुओं का कारोबार उपभोक्ता वस्तु बाजार के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एफ.एम.सी.जी. बाजार में करीब एक तिहाई उत्पाद नकली एवं तस्करी वाले उत्पाद हैं। साल 2015 में ऐसे उत्पादों का बाजार करीब 72,900 करोड़ रुपए था जो करीब 44.58 फीसदी बढ़कर साल 2014 के अंत में 1.05 लाख करोड़ रुपए हो गया। चालू कैलेंडर वर्ष में नकली एवं तस्करी वाले उपभोक्ता वस्तुओं का कारोबार 1.05 लाख करोड़ के आंकड़े को भी पार कर सकता है।
भारत में एफ.एम.सी.जी. का कुल बाजार 2014 के अंत में करीब 3.2 लाख करोड़ रुपए था। शहरी क्षेत्र से कमजोर मांग के कारण उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार में इस साल कोई नाकटकीय बदलाव होने के आसार कम ही दिख रहे हैं।
के.पी.एम.जी. इंडिया के पार्टनर एवं प्रमुख (उपभोक्ता बाजार) रजत वाही के अनुसार, अगले 4 साल तक सकल एफ.एम.सी.जी. बाजार के विकास की रफ्तार 11 से 12 फीसदी सालाना रहेगी। जबकि नकली वस्तुओं के कारोबार की वृद्धि दर इससे कहीं अधिक होगी क्योंकि कानून के अनुपालन की स्थिति अभी भी काफी कमजोर है। यही कारण है कि फुटपाथों और शहरों में सस्ते एवं नकली उत्पादों की भरमार हो रही है।
महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी शिवनंदन कंपनियों को नकली उत्पादों पर परामर्श देने वाली फर्म का संचालन करते हैं। उन्होंने कहा, ''मुंबई जैसे महानगर में नकली वस्तुओं से जुड़े कुछ ही मामले उजागर होते हैं।'' उन्होंने कहा, ''मैं कल्पना नहीं कर सकता है कि छोटे शहरों में इसकी क्या स्थिति होगी।'' एफ.एम.सी.जी. कंपनियों का कहना है कि वे धोखाधड़ी करने वालों को सजा के लिए प्रवर्तन प्राधिकरणों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज कंज्यूमर, डाबर और इमामी का कहना है कि नियमित अंतराल के बाद छापेमारी और जब्ती के लिए वे पुलिस और सरकार का साथ देती हैं।
डाबर इंडिया के सीईओ सुनील दुग्गल कहते हैं, ''नकली उत्पादों को हम गंभीरता से लेते हैं क्योंकि हमारे उत्पाद की नकल हमारे कारोबार का ही नुकसान है।'' पिछले कुछ वर्षों के दौरान डाबर के जिन ब्रांडों की सबसे अधिक नकल हुई है, उसमें डाबर गुलाबरी, डाबर लाल दंत मंजन और डाबर आंवला हेयर ऑयल हैं। दुग्गल का कहना है कि कंपनी उन क्षेत्रों को चिह्नित करती है, जहां नकली उत्पाद बनाए जाते हैं और दोषियों को पकडऩे के लिए पुलिस को सूचित करती है।
इमामी जैसी कंपनियों के कार्याधिकारियों का कहना है कि वे एक अलग दल रखते हैं, जिसकी अगुवाई भूतपूर्व असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस करते हैं। उनका काम बिक्री कर्मचारियों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उन जगहों की जांच करना है, जहां उनके लोकप्रिय ब्रांडों के नकदी उत्पाद बनाए जा रहे हैं। एक बार इसकी पुष्टि होने के बाद टीम और स्थानीय प्राधिकरण इन फैक्टरियों पर छापा डालते हैं। यहां तक की कुछ कंपनियां तो निजी जासूस रखती हैं, जो उन्हें जालसाजों को पकडऩे में मदद करते हैं लेकिन क्या यह काफी है।