मोदी राज में घट गया अदाणी और अंबानी का माल

Edited By ,Updated: 09 Sep, 2015 10:01 AM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पहले 15 महीने देश के दिग्गज कारोबारी घरानों के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं।

मुंबईः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पहले 15 महीने देश के दिग्गज कारोबारी घरानों के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 16 मई 2014 को मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अभी तक सूचना प्रौद्योगिकी, औषधि और उपभोक्ता उत्पाद कंपनियों को फायदा हुआ है लेकिन धातु, ऊर्जा, बिजली और बुनियादी ढांचा कंपनियों की संपत्ति में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। 

देश के दिग्गज कारोबारी समूहों के प्रवर्तकों में से वेदांत समूह के अनिल अग्रवाल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। नुकसान झेलने वाले प्रवर्तकों की सूची में उनके बाद अदाणी समूह के गौतम अदाणी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी का नाम है। इस अवधि के दौरान सबसे ज्यादा लाभ कमाया है आयशर समूह के प्रवर्तक सिद्घार्थ लाल ने क्योंकि समूह की संपत्ति में 152 फीसदी वृद्घि हुई है। उसके बाद एस्सार समूह के रुइया परिवार की संपत्ति में 111.4 फीसदी और ल्युपिन के देशबंधु गुप्ता की संपत्ति 104.5 फीसदी बढ़ी है। समूह की कंपनियों के शेयरों में आई तेजी से इनकी संपत्ति लगभग दोगुनी हो गई है। 

इस अवधि के दौरान अनिल अग्रवाल की संपत्ति 45 फीसदी घटकर 64,000 करोड़ रुपए रह गई, जो 26 मई 2014 को 1.16 लाख करोड़ रुपए थी। समूह की कंपनियों के शेयरों में आई जबरदस्त गिरावट ने अग्रवाल से देश के अरबपतियों की सूची में दूसरा स्थान छीन लिया। अब वह इस सूची में एचसीएल समूह के शिव नाडर से पीछे पांचवें स्थान पर हैं। भारती एयरटेल समूह के सुनील मित्तल और अग्रवाल की संपत्ति में मामूली सा ही अंतर है। गौतम अदाणी और उनके परिवार की संपत्ति अब 49,000  करोड़ रुपए है, जो पिछले साल 76,690 करोड़ रुपए थी। इस कमी की वजह है अदाणी एंटरप्राइजेज और अदाणी पावर के शेयरों में आई तेज गिरावट।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने देश के सबसे रईस व्यक्ति का अपना खिताब बचा लिया है लेकिन उनकी संपत्ति अब 1.61 लाख करोड़ रुपए से घटकर 1.22 लाख करोड़ रुपए रह गई है। अनिल अंबानी की संपत्ति में भी 55 फीसदी गिरावट आई है, जिससे वह देश के शीर्ष 20 रईसों की फेहरिस्त से बाहर हो गए हैं। पिछले साल मई में उनकी संपत्ति करीब 45,122 करोड़ रुपए थी, जो अब घटकर करीब 20,000 करोड़ रुपए रह गई है।

यह विश्लेषण 26 मई 2014 और 4 सितंबर 2015 को बीएसई 500 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण पर आधारित है। इसमें 31 मार्च 2015 से 30 जून 2015 तक प्रवर्तकों की शेयरधारिता भी शामिल की गई है। इस गणना में सूचीबद्घ कंपनियों की एक-दूसरे में हिस्सेदारी यानी क्रॉस होल्डिंग को शामिल नहीं किया गया है। उदाहरण के लिए आदित्य विक्रम बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक सीमेंट्स में बहुलांश हिस्सेदारी ग्रासिम के पास है। लेकिन प्रवर्तक की संपत्ति में इस हिस्सेदारी को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि टाटा समूह अब भी देश का सबसे बड़ा करोबारी समूह है। समीक्षाधीन अवधि के दौरान समूह की संपत्ति बढ़ी है, जिसकी वजह है टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी। पिछले साल मई से लेकर अभी तक टीसीएस का बाजार पूंजीकरण 18 फीसदी चढ़ चुका है।

टीसीएस में आई इस तेजी ने समूह की अन्य बड़ी कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पावर और टाटा ग्लोबल बेवरिजेस को हुए नुकसान की भरपाई कर दी। मोदी सरकार के राज में समूह की कंपनियों में टाटा संस का निवेश बढ़कर 4.34 लाख करोड़ रुपए हो गया। आयशर मोटर्स के सिद्घार्थ लाल की संपत्ति सबसे अधिक डेढ़ गुना बढ़कर 27,000 करोड़ रुपए हो गई है, जो पिछले साल मई में 10,735 करोड़ रुपए थी। एस्सार ऑयल के शेयर में आई जबरदस्त तेजी के कारण एस्सार समूह के रुइया बंधुओं की संपत्ति 13,772 करोड़ रुपए से बढ़कर 29,100 करोड़ रुपए हो गई है। 

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