RBI के समक्ष मुद्दे उठाने को जेटली मे बताया जायज, कहा- देश संस्थानों से अधिक महत्वपूर्ण

Edited By Isha,Updated: 23 Feb, 2019 09:39 AM

arun jaitley defends govt raising issues with rbi

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के समक्ष अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने सहित कई अन्य मुद्दों को उठाये जाने का बचाव करते हुये कहा कि देश संस्थानों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की अर्थव्यवस्था

बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के समक्ष अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने सहित कई अन्य मुद्दों को उठाये जाने का बचाव करते हुए कहा कि देश संस्थानों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने और ऐसी स्थिति पैदा नहीं हो कि हर 6 माह में सरकार बदलनी पड़े, इसके लिए जरूरी है कि आगामी चुनाव में पूर्ण बहुमत वाली सरकार ही सत्ता में आनी चाहिए। वैश्विक व्यावसायिक सम्मेलन (जीबीएस) को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि चुनावों से तीन-चार महीने पहले या बाद की घोषणाएं कुछ लीक से हटकर होती हैं, लेकिन ध्यान नीतियों के दीर्घकालिक लक्ष्य पर होना चाहिए।

सरकार की ओर से रिजर्व बैंक के समक्ष उसकी चिंताओं से जुड़े मुद्दे उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कांग्रेस की सरकारों के दौरान केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किये जाने के घटनाक्रमों का जिक्र किया और कहा कि उनके पूर्ववर्ती पी. चिदंबरम की तो दो गवर्नरों के साथ बातचीत तक नहीं होती थी। जेटली ने सवालिया लहजे में कहा कि अर्थव्यवस्था के हित में कोई मुद्दा उठाना जिसे हर कोई व्यापक हित में मानता है, क्या इसे संस्थान के साथ छेड़छाड़ माना जाना चाहिए? देश किसी भी संस्थान से ज्यादा महत्वपूर्ण है, फिर वह सरकार ही क्यों न हो।’’

उन्होंने कहा कि देश वित्तीय अनुशासन में रहने के फायदे देख चुका है। नीति निर्माताओं के समक्ष बेहतर नीतियों और लोक लुभावन के बीच किसी एक का चयन करने का विकल्प है। जेटली ने कहा कि देश के लिये इस समय जो सबसे खराब स्थिति होगी वह राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत अनिर्णय की होगी। ‘‘हमें विभिन्न दलों का ऐसा गठबंधन भी नहीं चाहिये और सबसे महत्वपूर्ण यह होगा कि भारत को पांच साल चलने वाली सरकार चाहिये, छह महीने की अस्थिर सरकार नहीं उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल भारत के लिये उल्लेखनीय रूप से बदलाव के रहे हैं। देश इस दौरान औपचारिक अर्थव्यवस्था और कर आधार के विस्तार की दिशा में आगे बढ़ा है।

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