थोक मुद्रास्फीति बढऩे पर भारतीय उद्योग जगत की ब्याज दर घटाने की मांग

Edited By ,Updated: 14 Feb, 2017 05:54 PM

as inflation shoots up  india inc seeks lower lending rates

थोक मुद्रास्फीति के जनवरी में ढाई साल के उच्चतम स्तर 5.25 प्रतिशत पर पहुंचने को लेकर भारतीय उद्योग जगत ने ब्याज दरों को कम करने के साथ ही नीति निर्माताओं से विनिर्माण और बुनियादी ढांचा

नई दिल्लीः थोक मुद्रास्फीति के जनवरी में ढाई साल के उच्चतम स्तर 5.25 प्रतिशत पर पहुंचने को लेकर भारतीय उद्योग जगत ने ब्याज दरों को कम करने के साथ ही नीति निर्माताओं से विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र को ऋण प्रवाह बढ़ाने और उसकी बेहतरी के लिए कदम उठाने की मांग की है।  

उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2016 में यह आंकड़ा 3.39 प्रतिशत था। इससे पहले जुलाई 2014 में यह 5.41 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। औद्योगिक संगठन फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, ‘‘औद्योगिक अर्थव्यवस्था अभी भी कमजोर बनी हुई है और विनिर्माण एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र को ऋण प्रवाह बेहतर करने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें आगे बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने की जरूरत है और हम उम्मीद करते हैं कि इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश बैंक अपनाएंगे ताकि कंपनियों के लिए ब्याज दर कम की जा सके।’’ इसी प्रकार एसोचैम ने नीति निर्माताओं से भविष्य में बढ़ती ब्याज दरों की स्थिति और उद्योगों की भविष्य में निवेश करने की सीमित क्षमता को देखते हुए सही कदम उठाए जाने की मांग की है।  

एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने कहा कि वैश्विक बाजार मेें कच्चे तेल की कीमतें बढऩे के चलते पैट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर नीति निर्माताओं को ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आयात बिल पर दबाव पड़ता है और इससे विनिमय दर भी प्रभावित होती है। इसी प्रकार रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खाद्यान्नों, वस्तुओं के दाम और विनिमय दर में संभावित तेजी से हमें फरवरी में भी थोक मुद्रास्फीति बढऩे की आशंका है। 
 

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