Edited By Supreet Kaur,Updated: 05 May, 2018 02:42 PM
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अध्यक्ष ताकेहीओ नकाओ ने आज कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी क्षेत्र) दुनिया की आर्थिक गतिविधियों का नया आकर्षण केंद्र बनता जा रहा है और इसे देखते हुए बैंक अपनी भूमिका को फिर से तलाशने को प्रतिबद्ध है ताकि वह एशिया...
मनीलाः एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अध्यक्ष ताकेहीओ नकाओ ने आज कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी क्षेत्र) दुनिया की आर्थिक गतिविधियों का नया आकर्षण केंद्र बनता जा रहा है और इसे देखते हुए बैंक अपनी भूमिका को फिर से तलाशने को प्रतिबद्ध है ताकि वह एशिया के कायाकल्प की राह की चुनौतियों का सामना करने में सहयोग कर सके।
गरीबी दूर करने का किया जाएगा प्रयास
नकाओ यहां एडीबी की 51 वीं वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एडीबी 2030 तक की एक नई रणनीति तैयार कर रहा है। इसमें एशिया प्रशांत क्षेत्र में गरीबी दूर करने की प्रतिबद्धता को दोहराया जाएगा और क्षेत्र को अधिक समृद्ध, मजबूत और समावेशी बनाने की इसकी परिकल्पनाओं का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘आर्थिक गतिविधियों का आकर्षण केंद्र खिसक कर एशिया और प्रशांत क्षेत्र की ओर आ रहा है। एपीएसी के सभी विकासशील देश आज प्रगति कर के मध्य आयवर्ग में पहुंच गए हैं। फिर भी बड़ी चुनौतियां बरकार हैं और नई नई चुनौतियां उभर रही हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देशों में आबादी बूढ़ी हो रही है तो कही युवा आबादी बढ़ रही है। उनकी राय में इनमें अवसर और चुनौती दोनों ही जुड़ी हुई है।
‘रणनीति 2030’ होगी तैयार
नकाओ ने कहा कि एडीबी की ‘रणनीति 2030’ इस वर्ष मध्य तक तैयार हो जाएगी। बैंक अलग अलग विकासशील देशों को कर्ज सहायता देने के लिए अलग अलग दृष्टिकोण अपनाएगा। उन्होंने कहा, ‘आगे हमारी जिम्मेदारी है कि हम एडीबी को नई दिशा दें और एशिया और प्रशांत क्षेत्र के कायाकल्प की चुनौतियों का सामना करने को तैयार हों।’ उन्होंने 2030 की रणनीति की 10 प्राथमिकताएं गिनाईं। इनमें क्षेत्रीय सहयोग व एकीकरण को मजबूत बनाना। इसमें 1990 के दशक से मध्य एशिया, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र में उप-क्षेत्रीय सहयोग के अब तक अनुभवों के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। एडीबी बैंक ईंधन सुरक्षा, शिक्षा, पर्यटन और वित्तीय स्थिरता के मामले में क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाए जाने को प्रोत्साहित करेगा। बैंक इन मामलों में पहले से चल रही और नई शुरू की जा रही वैश्विक एवं क्षेत्रीय पहल की मदद करेगा।