Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jul, 2017 06:58 PM
आडिटरों को अपने ग्राहकों की आेर से आयकर अधिकारियों के सामने (ऑडिट) रिपोर्ट फाइल करते समय उसमें अचल संपत्ति
नई दिल्ली : आडिटरों को अपने ग्राहकों की आेर से आयकर अधिकारियों के सामने (ऑडिट) रिपोर्ट फाइल करते समय उसमें अचल संपत्ति के सिलसिले में 20,000 रुपए से अधिक के लेन-देन का भी ब्योरा देना होगा। आयकर अधिनियम के तहत 50 लाख रुपए से अधिक की सकल आय अर्जित करने वाले पेशेवरों और एक करोड़ रुपए से अधिक कारोबार करने वाली कंपनियों को अपने खाते का अंकेक्षण कराना होगा। वर्ष 2018-19 से कंपनियों के लिए कारोबार की सीमा बढ़ाकर दो करोड़ रुपए कर दी गयी है।
ऑडिटरों को आयकर रिटर्न के साथ दाखिल टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में लिए गए कर्ज और 20,000 रुपए से अधिक की अदायगी का उल्लेख करना होता था। अब इस रिपोर्ट में संपत्ति से जुड़े 20,000 रुपए से अधिक के लेन-देन का भी उल्लेख करना होगा। इस कदम से वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता आएगी तथा कर अपवंचन रोकने में मदद मिलेगी। आयकर विभाग की अधिसूचना के अनुसार ऑडिटरों को वित्त वर्ष 2016-17 से 20,000 रुपए से अधिक की हर रकम के सिलसिले में वित्तीय लेन-देन का विवरण देना होगा।
इसमें अचल संपत्ति के संदर्भ में भुगतान की गई और ली गई राशि शामिल है। ऑडिटर को भुगतान के तरीके भी बताने होंगे या यह भी बताना होगा कि भुगतान खाते में देय चेक या इलेक्ट्रोनिक प्रणाली के जरिये किया गया।