Edited By Supreet Kaur,Updated: 06 Sep, 2018 10:24 AM
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लटके हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स पर बनी एक हाई पावर्ड कमिटी ने डिवेलपमेंट अथॉरिटीज से कहा है कि लटके पड़े प्रॉजेक्ट्स में बिना इस्तेमाल हुई उन जमीनों/फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को अपने अंदर लेने की नीति बनाए जिनके समाधान की दिशा...
बिजनेस डेस्कः नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लटके हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स पर बनी एक हाई पावर्ड कमिटी ने डिवेलपमेंट अथॉरिटीज से कहा है कि लटके पड़े प्रॉजेक्ट्स में बिना इस्तेमाल हुई उन जमीनों/फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को अपने अंदर लेने की नीति बनाए जिनके समाधान की दिशा में बिल्डरों ने पर्याप्त कदम नहीं उठाया है। समिति ने ऐसी अपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दूसरे डिवेलपरों को लाने की भी सिफारिश की है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई समिति की रिपोर्ट कहती है कि इस्तेमाल में नहीं लाई गई वैसी जमीन या एफएआर पर कब्जा किया जा सकता है जहां थर्ड पार्टी ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई हो। समिति ने चार बड़े बिल्डरों आम्रपाली ग्रुप, थ्री सी ग्रुप, यूनिटेक और जेपी इन्फ्राटेक एवं जयप्रकाश असोसिएट्स के प्रॉजेक्ट्स की छानबीन की और कहा कि बिल्डरों को बड़ी रकम भुगतान कर देने के बावजूद करीब तीन लाख होम बायर्स को फ्लैट्स नहीं मिले हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने यूनियन हाउसिंग सेक्रटरी डी एस मिश्रा की अगुवाई में इस समिति का गठन किया था। इसने यह भी सुझाव दिया कि नैशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) आम्रपाली ग्रुप के सिवा अन्य डिवेलपरों के लटके प्रॉजेक्ट्स का भी सर्वेक्षण करे और जिन प्रॉजेक्ट्स को पूरा करना संभव हो, उन्हें अपने हाथ में ले ले। रिपोर्ट में कहा गया है, 'अथॉरिटीज पूरी सहायता करेंगी।' कमिटी की सिफारिश है कि राज्य सरकार प्रॉजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी को कुछ बदलावों के साथ दुबारा पेश करे। यह पॉलिसी 2016 में महज छह महीने के लिए आई थी। इसका मकसद किसान आंदोलन, निर्माण एवं जमीन अधिग्रहण पर अदालतों के स्टे ऑर्डर्स के कारण फ्लैट्स की डिलिवरी में हो रही देरी की समस्या का समाधान करना था।