Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Nov, 2019 12:24 PM
मल्टीनेशनल कंपनियों (एमएनसी) के बहिष्कार का आह्नान करने वाली बाबा रामदेव की ''स्वदेशी'' कंपनी पतंजलि आयुर्वेद अब वैश्विक स्तर पर कारोबार के लिए विदेशी कंपनियों के साथ हाथ मिलाने की तैयारी कर रही है।
नई दिल्लीः मल्टीनेशनल कंपनियों (एमएनसी) के बहिष्कार का आह्नान करने वाली बाबा रामदेव की 'स्वदेशी' कंपनी पतंजलि आयुर्वेद अब वैश्विक स्तर पर कारोबार के लिए विदेशी कंपनियों के साथ हाथ मिलाने की तैयारी कर रही है। इस बात का संकेत खुद पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने दिए हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि तीन-चार वैश्विक कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए अपनी रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि हम मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ काम करने के खिलाफ नहीं है। बालकृष्ण ने कहा कि हमने अभी किसी भी एमएनसी को मना नहीं किया है। हम उनके ऑफर्स का अध्ययन कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने पतंजलि को अप्रोच करने वाली किसी भी मल्टीनेशनल कंपनी का नाम उजागर करने से मना कर दिया। इससे पहले फ्रांस के दिग्गज लग्जरी ब्रांड एलएमवीएच ने पतंजलि में इक्विटी खरीदने की इच्छा जताई थी।
जीएसटी के कारण हुआ नुकसान
बालकृष्ण का कहना है कि दो साल पहले लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण पतंजलि को नुकसान हुआ है। बालकृष्ण का कहना है कि जीएसटी के कारण कंपनी ट्रेड, सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन चैनल में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाई है, जिससे नुकसान बढ़ा। हालांकि, उन्होंने कहा कि हम वापसी करेंगे और इसका परिणाम तिमाही नतीजों में दिखना शुरू हो गया है। पतंजलि के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में उसकी कुल सेल्स 1769 करोड़ रुपए रही है जो पिछले साल समान अवधि में 1576 करोड़ रुपए थी।
पतंजलि को लगातार हो रहा नुकसान
हाल के दिनों में पतंजलि के कारोबार को लगातार नुकसान हो रहा है। नीलसन के डाटा के अनुसार, कंपनी अपनी सभी कोर कैटेगरी में बाजार हिस्सेदारी खोती जा रही है। जुलाई 2018 से जुलाई 2019 के मध्य पतंजलि के डिटर्जेंट, हेयर केयर, साबुन और नूडल्स ने अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवाई है। इस दौरान हिन्दुस्तान यूनिलीवर ने अपने आयुर्वेद उत्पादों को रीलॉन्च किया है। इस अवधि में केवल पतंजलि टूथपेस्ट ने अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है।