बैंक संकट पर नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी ने जताई चिंता, कहा- 50% के नीचे लाई जाए सरकारी हिस्सेदारी

Edited By Supreet Kaur,Updated: 23 Oct, 2019 10:07 AM

bank crisis worrisome need to bring government share below 50 percent

नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को भारत में बैंक संकट को भयवाह बताया और स्थिति से निपटने के लिए आक्रमक नीतिगत बदलावों का आह्वान किया। बनर्जी ने सुझाव दिया कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम कर...

नई दिल्लीः नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को भारत में बैंक संकट को भयवाह बताया और स्थिति से निपटने के लिए आक्रमक नीतिगत बदलावों का आह्वान किया। बनर्जी ने सुझाव दिया कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम कर 50 फीसदी के नीचे लाना चाहिए ताकि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की आशंका के बिना निर्णय किये जा सके।
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बैंकों की हालत चिंताजनक
बनर्जी ने कहा कि सीवीसी के भय से बैंकों की निर्णय प्रक्रिया ठंडी पड़ती है। उन्होंने कहा, ‘‘बैंकों का मौजूदा संकट भयवाह है। यह चिंताजनक है क्योंकि इसमें चीजें बार-बार हो रही हैं, हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। मुझे लगता है कि हमें महत्वपूर्ण और आक्रमक बदलावों की जरूरत है।'' बदलाव की जरूरत के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सार्वजनिक हिस्सेदारी 50 फीसदी से नीचे लाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि केंद्रीय सतर्कता आयोग इन्हें (सरकारी बैंकों) को नियमित नहीं करे।'' बनर्जी ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों में नीतिगत निर्णय के मामले में स्थिरता है। वे इस बात से आशंकित रहते हैं कि उनके निर्णय का सीवीसी जांच करेगा क्योंकि बैंकों में सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी है।
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फंसे कर्ज की समस्या से जूझ रहे बैंक
उन्होंने कहा, ‘‘इसके कारण चूक के मामले छिपाए जाते हैं जिससे बाद में समस्या होती है। इसीलिए मैं चाहता हूं कि सरकार की बैंकों में कम हिस्सेदारी हो ताकि बैंक क्षेत्र में निर्णय की जांच की जो आशंका रहती है, वह दूर हो।'' देश में बैंक करीब पांच साल से उच्च मात्रा में फंसे कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके कारण बैंकों का नेटवर्थ कम हो रहा है। इतना ही नहीं पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) के साथ क्षेत्र में घोटाले समस्या को बढ़ा रहे हैं। इससे पहले, अगस्त में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने पूर्व सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन की अध्यक्षता में बैंक धोखाधड़ी के लिये परामर्श बोर्ड का गठन किया। बोर्ड का काम 50 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की जांच करना और कार्रवाई के बारे में सुझाव देना है।
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