सरकार का बड़ा खुलासा, कॉर्पोरेट घरानों की वजह से डूबा बैंकों का पैसा

Edited By Supreet Kaur,Updated: 26 Oct, 2018 02:19 PM

bank money sink due to corporate houses

बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एन.पी.ए.) को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहने वाली केन्द्र की मोदी सरकार ने इस बार बड़ा खुलासा किया है। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि बैंकों का अधिकांश एन.पी.ए. बड़ी कम्पनियों की देन है। दिल्ली में...

नई दिल्लीः बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एन.पी.ए.) को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहने वाली केन्द्र की मोदी सरकार ने इस बार बड़ा खुलासा किया है। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि बैंकों का अधिकांश एन.पी.ए. बड़ी कम्पनियों की देन है। दिल्ली में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की ओर से लघु ऋण पर आयोजित राष्ट्रीय कांग्रेस में राजीव कुमार ने कहा कि पूरे बैंकिंग सैक्टर की लोन बुक को देखने पर पता चल जाएगा कि बैंकों का एन.पी.ए. इस (एस.एम.ई.) सैक्टर ने पैदा नहीं किया है। एन.पी.ए. मुश्किल से 300-400 बड़े कॉर्पोरेटों ने पैदा किए हैं।

उन्होंने बताया कि देश में करीब 70 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे आठ करोड़ परिवार जुड़े हुए हैं। लेकिन, उनके द्वारा लिए गए ऋण में मात्र तीन प्रतिशत एनपीए है। वे पैसा लेकर भागते नहीं हैं। कुमार ने कहा कि विकास सबके लिए होना चाहिए। यह एक बड़ा मुद्दा है।

सिड्बी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि सिडबी ने ‘मास मार्केट’ तक पहुंच बनाने की योजना तैयार की है जिसके तहत आम लोगों को उनकी जरूरतों के लिए ऋण दिया जा सकेगा। मैकेंजी एंड कंपनी के रेनी थॉमस ने एक प्रस्तुतिकरण में बताया कि देश में अब भी 19 करोड़ से ज्यादा लोग बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं। इस क्षेत्र में लघु ऋण कंपनियों के पास अच्छा अवसर है।  
 

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