बैंक ऑफ इंडिया को मार्च तिमाही में 3,969 करोड़ रुपए का घाटा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 May, 2018 10:47 AM

bank of india reported a loss of rs 3 969 crore in the march quarter

बैड लोन पर अधिक प्रोविजनिंग और बैंकिंग बिजनेस से कम मुनाफे के चलते बैंक ऑफ इंडिया को मार्च तिमाही में 3,969 करोड़ रुपए का घाटा हुआ

मुंबईः बैड लोन पर अधिक प्रोविजनिंग और बैंकिंग बिजनेस से कम मुनाफे के चलते बैंक ऑफ इंडिया को मार्च तिमाही में 3,969 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जबकि सालभर पहले की इसी तिमाही में उसे 1,048 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। बैंक के सीईओ दीनबंधु महापात्रा ने बताया, 'बैड लोन पीक लेवल पर पहुंच गए हैं। अब इनमें कमी आएगी। इसलिए वित्त वर्ष 2019 में बैंकों का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। जिस तरह से एनसीएलटी के जरिए लोन की रिकवरी हो रही है, उससे हम काफी पैसा वापस मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।' 

रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी में सभी लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर रोक लगा दी थी। इस वजह से बैंक ऑफ इंडिया को 5,107 करोड़ रुपए के कर्ज को बैड लोन की कैटेगरी में डालना पड़ा। इस वजह से मार्च तिमाही में बैंक के मुनाफे पर दबाव बना। हालांकि, बैंक ऑफ इंडिया ने इस तिमाही में 11,417 करोड़ रुपए की रिकवरी भी की है। इसमें से अधिकांश रकम दूसरे बैंकों की तरफ से जारी किए गए स्टैंडबाय लेटर क्रेडिट को भुनाने से मिली है। मार्च तिमाही में बैंक का प्रोविजन कवरेज रेशियो भी साल भर पहले के 56.9 फीसदी से सुधरकर 65.8 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं, उसका नेट बैड लोन साल भर पहले के 10.25 से घटकर 8.2 फीसदी पर आ गया। महापात्रा ने बताया कि 66 फीसदी पीसीए के साथ हमारा भविष्य सुरक्षित हो गया है। अब हम उन लोन एकाउंट्स में हेयरकट के लिए तैयार रहेंगे, जिन्हें बैंकरप्सी कोर्ट भेजा गया है। 

मार्च तिमाही में इनकम घटी 
बैंक की नेट इंटरेस्ट इनकम मार्च तिमाही में 26 फीसदी घटकर 2,564 करोड़ रुपए रह गई, जबकि नॉन-इंटरेस्ट इनकम 21 फीसदी की गिरावट के साथ 1,375 करोड़ रुपए रही। बैंक के घाटे की एक वजह यह भी है। वित्त वर्ष 2018 में बैंक ऑफ इंडिया को 6,044 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जबकि साल भर पहले उसे 1,558 करोड़ रुपए का लॉस हुआ था। महापात्रा ने बताया कि टर्नअराउंड स्ट्रैटेजी के तहत बैंक ने ब्रांच की संख्या में कमी करने, घाटे में चल रहे 290 एटीएम को बंद करने, रियल एस्टेट को बेचकर 1,000 करोड़ रुपए जुटाने और रिटेल लोन बिजनेस को बढ़ाने का फैसला किया है। रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ इंडिया को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) कैटेगरी में डाल दिया था। इससे उसे बिजनेस बढ़ाने में दिक्कत हो रही है। बैंक ने इस वित्त वर्ष में बैड लोन को घटाकर 6 फीसदी से कम करने का लक्ष्य रखा है ताकि वह पीसीए से बाहर निकल सके। 

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