Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Dec, 2018 07:25 PM
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बुधवार को कामकाज प्रभावित हो सकता है। विजया बैंक, देना बैंक और बैंक आफ बड़ौदा के विलय के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की यूनियन के बुधवार को हड़ताल का आह्वान किया है। एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरी...
नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बुधवार को कामकाज प्रभावित हो सकता है। विजया बैंक, देना बैंक और बैंक आफ बड़ौदा के विलय के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की यूनियन के बुधवार को हड़ताल का आह्वान किया है। एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरी बैंक हड़ताल है।
बैंक अधिकारियों की यूनियन ने प्रस्तावित विलय तथा वेतन संशोधन पर बातचीत को जल्दी निष्कर्ष पर पहुंचाने को लेकर पिछले शुक्रवार (21 दिसंबर) को हड़ताल की थी। अधिकतर बैंकों ने पहले ही ग्राहकों को हड़ताल के बारे में सूचना दे दी थी। निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज आम दिनों की तरह सामान्य रहेगा। यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने हड़ताल का आह्वान किया है।
यूएफबीयू नौ बैंक यूनियनों का संगठन है। इसमें आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), नेशनल कनफेडरेशन आफ बैंक एम्प्लायज (एनसीबीई) और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आदि यूनियनें शामिल हैं। यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख से अधिक है। एआईबीईए के महासिचव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त ने सुलह सफाई के लिए बैठक बुलाई थी लेकिन उससे कोई हल नहीं निकला। इसीलिए सभी यूनियनों हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान न तो सरकार और न ही संबंधित बैंकों ने आगे आकर यह भरोसा नहीं दिलाया कि वे विलय के लिए कदम नहीं उठाएंगे।
यूनियनों ने दावा किया कि सरकार विलय के जरिए बैंकों का आकार बढ़ाना चाहती है लेकिन यदि देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भी मिलाकर एक कर दिया जाए तो भी विलय के बाद अस्तित्व में आई इकाई को दुनिया के शीर्ष दस बैंकों में स्थान नहीं मिलेगा। सरकार ने सितंबर में सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक और देना बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय करने की घोषणा की थी। इससे देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा। वेतन संशोधन पर नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा, ‘‘वेतन संशोधन नवंबर, 2017 से लंबित है। अब तक इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने वेतन में 8 प्रतिशत वृद्धि की पेशकश की है जो यूएफबीयू को स्वीकार्य नहीं है।''