बैंकरों को शक, इस्पात में फंसा है ज्यादा कर्ज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jun, 2017 05:12 PM

bankers suspect  more debt trapped in steel

भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवालिया संहिता के तहत जिन 12 मामलों को पहली सूची में डाला है

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवालिया संहिता के तहत जिन 12 मामलों को पहली सूची में डाला है, उनमें अधिकतर कंपनियां इस्पात और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की हैं। बैंकरों को उम्मीद है कि इनमें से एस्सार स्टील और भूषण स्टील जैसी परेशानी में फंसी इस्पात कंपनियों की उन्हें अच्छी कीमत मिल जाएगी। वरिष्ठा बैंकरों और पुनर्गठन में सलाह देने वाले पेशेवरों ने कहा कि इस्पात और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों के आधिक्य वाली इस सूची में उन्हें इस्पात कंपनियों के मामले तेजी से सुलझने की उम्मीद है। इस उम्मीद की कई वजहें हैं।
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इस्पात की मांग बेहतर हो रही है, कीमत भी अच्छी मिल रही हैं उसके आयात पर डंपिंगरोधी शुल्क भी लगा हुआ है। इस कारण इस्पात कंपनियों के माल का उठान तेज हो रहा है और उनकी मुनाफा कमाने की क्षमता भी सुधरी है। एक प्रमुख सरकारी बैंक के चेयरमैन ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने जिन 12 कंपनियों के नाम दिए हैं, उनके पास बैंकिंग तंत्र की कुल गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में से करीब 25 फीसदी फंसी हैं। इनमें से सभी के पास 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया फंसा है और 60 फीसदी या अधिक को एन.पी.ए. करार दिया जा चुका है।
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इनमें से छह मामलों में भारतीय स्टेट बैंक सबसे आगे रहेगा और दो में आई.डी.बी.आई. बैंक प्रमुख भूमिका निभाएगा। पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और कॉर्पोरेशन बैंक के पास एक-एक मामला रहेगा। विश्लेषण के मुताबिक स्टील कंपनियों के लिए 40 से 60 फीसदी प्रावधान की जरूरत होगी जबकि अन्य क्षेत्रों के लिए ज्यादा प्रावधान की आवश्यकता पड़ेगी। 

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