कर्ज की नई नीतियों से बढ़ रहा बैंकों का संकट

Edited By vasudha,Updated: 24 Jan, 2020 10:06 AM

banks crisis is increasing due to new loan policies

बैंकिंग सैक्टर में एन.पी.ए. संकट घटने की खुशी कुछ समय के लिए ही है। 7 वर्षों के बाद एन.पी.ए. संकट 2017-18 में 11.2 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में 9.1 प्रतिशत रह गया है। यह अच्छी खबर है मगर यह थोड़े समय के लिए है। बैंकों पर कृषि, मुद्रा स्माल लोन,...

बिजनेस डेस्क: बैंकिंग सैक्टर में एन.पी.ए. संकट घटने की खुशी कुछ समय के लिए ही है। 7 वर्षों के बाद एन.पी.ए. संकट 2017-18 में 11.2 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में 9.1 प्रतिशत रह गया है। यह अच्छी खबर है मगर यह थोड़े समय के लिए है। बैंकों पर कृषि, मुद्रा स्माल लोन, असुरक्षित खुदरा ऋण और टैलीकॉम सैक्टर को ऋण देने के लिए लगातार दबाव बढ़ रहा है। इन मुद्दों को लेकर बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग सैक्टर का 27-31 लाख करोड़ रुपए ब्लॉक हो गया है। बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग की कुल बैलेंस शीट 190 लाख करोड़ रुपए है जो कि भारत की कुल जी.डी.पी. के बराबर है। इनमें से किसी का भी नुक्सान होने से देश की वित्तीय प्रणाली को खतरा हो सकता है और यह संवेदनशील है। भारत के पूर्व अर्थशास्त्री अरविन्द सुब्रह्मण्यन का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था को पहले ही 4 बैलेंस शीट का सामना करना पड़ रहा है। नॉन-बैंकिंग और रियल एस्टेट पहले ही विलेन की भूमिका निभा रहे हैं, जिनमें बैंक और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां संलिप्त हैं। 

 

  • भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नैशनल बैंक का सितंबर 2019 में छोटे मुद्रा ऋणों में कुल एन.पी.ए. 22.71 प्रतिशत 
  • एस.बी.आई. की कृषि एन.पी.ए. 2019/20 की पहली छमाही में 3 साल पहले 5 प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत हो गया
  • आर.बी.आई. ने असुरक्षित खुदरा ऋणों में वृद्धि को धीमा करने के रूप में बढ़ती चूक की संभावना के बारे में चेतावनी दी है


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मुद्रा लोन:
एस.बी.आई. के लिए मुद्रा ऋण में कुल एन.पी.ए. 8.5 प्रतिशत को छू गया है। पी.एन.बी. के लिए यह फिगर 22.71 प्रतिशत जबकि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लिए 18.50 प्रतिशत है। यद्यपि मुद्रा ऋण के तहत बहुत से लोग गरीबी से बाहर होंगे मगर बैंक के लिए एन.पी.ए. स्तर बढ़ रहा है। आर.बी.आई. के डिप्टी गवर्नर एम.के. जैन ने हाल ही में मुम्बई में हुई माइक्रोफाइनैंस कांफ्रैंस में कहा कि आधिकारिक डाटा अलग ही कहानी दर्शाते हैं। सरकार ने 2018-19 में कुल मुद्रा एन.पी.ए. को वितरित राशि का 2.86 प्रतिशत बताया। क्या सरकार मुद्रा एन.पी.ए. की असली स्थिति को छिपा रही है। उन्होंने कहा कि पुराने ऋण का एन.पी.ए. बढ़ रहा है। नए भी शामिल हो गए हैं। असली स्थिति उस समय सामने आएगी जब ऋण देने की धीमी गति सामने आएगी। 

 

खुदरा ऋण: सरकार के मुद्रा ऋण शुरू करने से एक वर्ष पहले बैंक बड़े कॉर्पोरेट ऋणों के खराब होने की संभावना का सामना कर रहे थे, खुदरा परिसंपत्तियों का निर्माण शुरू कर दिया क्योंकि इस सैक्टर में ऐतिहासिक रूप से एन.पी.ए. कम था। वर्ष 2013-14 और 2018-19 के बीच बैंकों और नॉन-बैंकिंग सैक्टर का खुदरा ऋण 48 लाख करोड़ रुपए था लेकिन बैंक क्रैडिट में असुरक्षित खुदरा ऋण शेयर 2018-19 में 33 प्रतिशत हो गया जो कि 2014-15 में 24 प्रतिशत था (22.20 लाख करोड़ में 7 लाख करोड़ खुदरा ऋण था)।    

 

कृषि ऋण माफी: सरकार की तरफ से किसानों का कृषि ऋण माफ करना बैंकों की चिंता को बढ़ा रहा है। एक बैंकर ने कहा कि यह राज्य विधानसभा चुनावों में पैटर्न बन गया है। कुछ सप्ताह पहले महाराष्ट्र सरकार भी बंदगांव में कृषि ऋण माफी में शामिल हो गई है। इसके साथ ही झारखंड चुनावों में भी कांग्रेस ने जनता के साथ 2 लाख रुपए तक के कृषि ऋण को माफ करने का किसानों के साथ वायदा किया है। आर.बी.आई. की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पिछले 3 वर्षों में ऋण माफ करने का वायदा करने वाले एक दर्जन के करीब राज्यों में एन.पी.ए. बढ़ गया है। 

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टैलीकॉम सैक्टर: बैंक एयरसैल और आरकॉम के ऋण में कटौती कर रहे हैं। 2 वर्ष पहले 45,000 करोड़ रुपए के बकाया वाली एयरसैल ने स्वैच्छिक परिसमापन के लिए आवेदन किया था। इसी तरह आरकॉम को इस वर्ष मई में परिचालन लेनदार एरिक्सन द्वारा दिवालियापन के लिए घसीटा गया था। अनिल अंबानी समूह की दूरसंचार शाखा के पास वित्तीय लेनदारों के करीब 50,000 करोड़ रुपए हैं। जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, 92,641 करोड़ रुपए की नई ए.जी.आर. देनदारी अन्य दूरसंचार खिलाडिय़ों, विशेष रूप से वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटैल के लिए खतरे की घंटी के रूप में आई है। दोनों ही रिलायंस जियो का मुकाबला करने के लिए भारी खर्च करने वाले हैं। एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कहते हैं, ‘‘अगर टैलीकॉम खिलाडिय़ों की मौजूदा स्थिति में कोई डिफॉल्ट होता है तो हम कुछ भी नहीं पा सकते हैं  उसके पास एक बिंदु है। जियो की उपस्थिति वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटैल को नकदी प्रवाह के दबाव के बावजूद टावरों और स्पैक्ट्रम के उन्नयन में निवेश करने के लिए मजबूर कर रही है। वोडाफोन-आइडिया ने जियो के कारण 2019-20 की पहली छमाही में 54,765 करोड़ रुपए का घाटा दर्ज किया। इसी वजह से भारती एयरटैल को 25,816 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। वोडाफोन-आइडिया की ए.जी.आर. देनदारी 28,300 करोड़ रुपए है जबकि भारती एयरटैल की 21,700 करोड़ रुपए की। बैंकरों का कहना है कि उनकी प्रमुख ङ्क्षचता बैंक गारंटी है जो उन्होंने ऑप्रेटरों को लाइसैंस शुल्क के भुगतान के लिए दूरसंचार विभाग को दीहै। 

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बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग सैक्टर की किस सैक्टर में कितनी राशि ब्लॉक 

कृषि: 13-14 लाख करोड़ रुपएा
कारण: कृषि ऋण माफी की घोषणा के कारण किसान ऋण वापस नहीं करते

खुदरा ऋण: 6-7 लाख करोड़ रुपए
कारण: नौकरी छूटना, स्थिर आय, बढ़ते घरेलू ऋण, जोखिमपूर्ण छोटे व्यक्तिगत ऋणों की वृद्धि और फिनटैक और एन.बी.एफ.सी. खिलाडिय़ों द्वारा उधार

मुद्रा ऋण: 7-8 लाख करोड़ रुपए
कारण: अर्थव्यवस्था के कुछ बड़े क्षेत्रों में मंदी

टैलीकॉम: 1-2 लाख करोड़ 
कारण: भारी-भरकम ए.जी.आर. देनदारी, दूरसंचार के नुक्सान, कम टैरिफ और नैटवर्क के उन्नयन के लिए निरंतर निवेश

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