Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Mar, 2018 04:36 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के ताजा आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों पर बकाया 516 करोड़ रुपए के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है।
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के ताजा आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों पर बकाया 516 करोड़ रुपए के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया है। आर.बी.आई. के अनुसार 2017-18 की अप्रैल-सितंबर छमाही में ऐसे 38 ऋण खातों को बट्टे खाते में डाल गया। इसका मतलब है कि बैंकों ने इन खातों के संदर्भ में अपनी कमाई में से 100 प्रतिशत का प्रावधान कर दिया है। ऐसी इकाइयों को जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाली इकाई कहा जाता है जो कर्ज को उसके घोषित उद्येश्यों पर नहीं लगाया हो, क्षमता होते हुए भी कर्ज चुकाया न हो या फिर धन का गबन कर दिया हो या गिरवरी रखी सम्पत्ति को बैंक की जानकारी के बगैर निस्तारित कर दिया हो।
वित्त मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार ऐसे कर्जों के मार्च 2017 तक के आकड़ों में सबसे बड़े बैंक एस.बी.आई. की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से अधिक है। आंकड़े के अनुसार 31 मार्च 2017 तक भारतीय स्टेट बैंक का जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले कुल 1,762 चूककर्ताओं के ऊपर 25,104 करोड़ रुपए बकाया है। दूसरे स्थान पर पंजाब नैशनल बैंक है जिसका 1,120 चूककर्ताओं पर 12,278 करोड़ रुपए बकाया है। कुल मिलाकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों कों 8,915 चूककर्ताओं पर 92,376 करोड़ रुपए बकाया है।