बैंकों के KYC फॉर्म्स में बताना पड़ सकता है धर्म का नाम, RBI ने बदला फेमा कानून में नियम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Dec, 2019 12:05 PM

banks may need to mention religion in kyc forms rbi changes rules in fema act

जल्द ही बैंक आपसे नो योर कस्टमर (KYC) कराने के दौरान आपका धर्म पूछ सकते हैं। यह नियम पहले से मौजूद ग्राहकों और नए ग्राहकों पर लागू होगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करने की तैयारी में है।

मुंबईः जल्द ही बैंक आपसे नो योर कस्टमर (KYC) कराने के दौरान आपका धर्म पूछ सकते हैं। यह नियम पहले से मौजूद ग्राहकों और नए ग्राहकों पर लागू होगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करने की तैयारी में है। 

इस वजह से पूछा जाएगा धर्म
फेमा कानून में बदलाव के चलते ऐसा किया जाएगा। फेमा में जो बदलाव किया गया उसके अनुसार बाहर के देशों के नागरिक एनआरओ खाता खोल सकते हैं, वहीं संपत्ति भी खरीद सकते हैं। हालांकि मुसलमानों को ऐसा करने से वंचित किया गया है। 

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फेमा कानून में नागरिकता कानून की तरह संशोधन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने फेमा कानून में बदलाव करते हुए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदु, बौद्ध, जैन, पारसी, सिख और ईसाई धर्म के शरणार्थी, जो कि लंबे समय के वीजा पर भारत आए हैं, वो अब बैंक में खाता खुलवा सकते हैं। इसके साथ यह लोग संपत्ति भी खरीद सकते हैं।  हालांकि इस नियम के अनुसार मुस्लिम और म्यांमार, श्रीलंका व तिब्बत के लोग संपत्ति और बैंक खाता नहीं खोल सकते हैं। 

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पिछले साल हुआ था संशोधन
फेमा (डिपॉजिट) नियम के शेड्यूल 3 में संशोधन के मुताबिक, 'भारत में रह रहे लंबी अवधि वीजा रखने वाले बांग्लादेश या पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) के लोगों को केवल एक एनआरओ अकाउंट खोलने की मंजूरी दी गई है। जब ये लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रवाधानों के तहत भारत के नागरिक हो जाएंगे तो उनके एनआरओ खाते को रेजिडेंट खाते में बदल दिया जाएगा।' फेमा के नियमों के मुताबिक,ऐसे लोग भारत में केवल एक अचल रिहायशी संपत्ति खरीद सकते हैं।'

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पिछले साल किया गया था संशोधन
वित्त मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि यह बदलाव पिछले साल किया गया था, जब कई वित्तीय जानकारों, नौकरशाहों तथा राजनीतिज्ञों का ध्यान वित्तीय संकट की तरफ था। उन्होंने कहा, 'किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि बैंकिंग से जुड़े नियमों में धार्मिक भेदभाव के नियम लाए जाएंगे।'
 

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