विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ जहां भी जरूरी हो, कानूनी कार्रवाई करें बैंक: वित्त मंत्री सीतारमण

Edited By Pardeep,Updated: 27 Jul, 2021 10:59 PM

banks should take legal action against willful defaulters wherever necessary

जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों यानी विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 2208 से बढ़कर 2,494 हो गई है। विलफुल डिफॉल्टर्स का यह आंकड़ा इस वर्ष 31 मार्च तक का है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

नई दिल्लीः जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों यानी विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 2208 से बढ़कर 2,494 हो गई है। विलफुल डिफॉल्टर्स का यह आंकड़ा इस वर्ष 31 मार्च तक का है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी। उन्होंने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फंसे हुए और बट्टे खाते में डाले गए कर्जो में से 3,12,987 करोड़ रुपये की वसूली की है।

उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने अपनी रिपार्ट में बताया है कि जानबूझकर कर्ज लौटाने में चूक करने वालों की संख्या 31 मार्च 2019 को 2,017 थी। यह 31 मार्च 2020 को बढ़कर 2,208 और 31 मार्च 2021 को 2,494 हो गई। ’’ यह भी कहा कि सरकारी बैंकों का फंसा कर्ज (एनपीए) 31 मार्च 2019 को 5,73,202 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च 2020 को घटकर 4,92,632 करोड़ रुपये और इस वर्ष 31 मार्च को 4,02,015 करोड़ रुपये रह गया है।

उन्होंने कहा कि बैंकों को जहां भी जरूरी हो, बकाए की रिकवरी के लिए बॉरोअर्स या गारंटर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। वे आवश्यकता पड़ने पर विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी शुरू कर सकते हैं। 

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,31,894 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले। इससे पहले के वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 1,75,876 करोड़ रुपये था। दिए जा रहे कर्ज के मुकाबले एनपीए में लगातार गिरावट आ रही है। सरकारी बैंकों का एनपीए 31 मार्च 2015 को 11.97 फीसदी था, जो इस वर्ष 31 मार्च को 9.11 फीसदी रह गया। 

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