सावधानः फर्जी कस्टमर केयर नंबर कर देगा बैंक खाता खाली

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jun, 2019 11:20 AM

be careful fake customer care will make bank account empty

एटीएम और डिजीटल भुगतान के सुविधाजनक होने से उपभोक्ता इनका खूब इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसके साथ ही धोखाधड़ी भी खूब बढ़ी है। ठगों ने धोखाधड़ी के नए-नए तरीके भी इजाद कर लिए हैं।

नई दिल्ली: एटीएम और डिजीटल भुगतान के सुविधाजनक होने से उपभोक्ता इनका खूब इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसके साथ ही धोखाधड़ी भी खूब बढ़ी है। ठगों ने धोखाधड़ी के नए-नए तरीके भी इजाद कर लिए हैं। इन दिनों फर्जी कस्टमर केयर नम्बर के जरिए उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी हो रही है। धोखाधड़ी करने वाले ऑनलाइन सर्च के दौरान उपभोक्ताओं को गलत वैबसाइट पर ले जाकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक उपभोक्ता लेन-लेन में गड़बड़ी या किसी दूसरी जानकारी के लिए बैंक की वैबसाइट या कस्टमर केयर नंबर ऑनलाइन ढूंढता है। इसी दौरान धोखाधड़ी करने वाले उपभोक्ता को गलत वैबसाइट पर ले जाते हैं जो बिल्कुल वैसा ही दिखता है, जैसा बैंकों या बीमा कम्पनियों की असली वैबसाइट होती है। उपभोक्ता को पता नहीं होता है कि वह जिस वैबसाइट से जानकारी ले रहा है वह सही नहीं है। वह कस्टमर केयर से जानकारी सांझा करता है और फर्जीवाड़े का शिकार हो जाता है। पिछले 5 साल में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के 23,000 बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं।

गूगल सर्च के इस्तेमाल से ठगी
डिजीटल लेन-देन या ए.टी.एम. के इस्तेमाल में गड़बड़ी होने पर आमतौर पर उपभोक्ता गूगल सर्च से कस्टमर केयर नम्बर निकालते हैं। ठगी करने वाले गूगल सर्च के जरिए पहले यह पता करते हैं कि किस बात के लिए उपभोक्ता सबसे अधिक सर्च करते हैं। इसी आधार पर वह संबंधित बैंक या कम्पनी का गलत कस्टमर केयर नम्बर लिखकर गूगल पर डाल देते हैं। सर्च इंजन ऑप्टेमाइजेशन(एस.ई.ओ.) की मदद से गूगल सर्च पर सबसे पहले इसी तरह के नम्बर दिखते हैं।

बैंक से करें शिकायत
धोखाधड़ी होने पर बैंक जाकर या बैंक की आधिकारिक वैबसाइट से कस्टमर केयर नम्बर लेकर तुरंत शिकायत करें। यदि आप किसी बैंकिंग एप का इस्तेमाल करते हैं तो उस पर भी कस्टमर केयर नम्बर होता है। कार्ड से धोखाधड़ी होने पर उसे तुरंत बंद (ब्लॉक) करवा दें।

वैबसाइट पर नजर
धोखाधड़ी करने वाले फर्जी वैबसाइट बनाते हैं। इस तरह की वैबसाइट पर बैंक या बीमा से जुड़ी जानकारी के लिए एक क्लिक पर मिलने वाली जानकारी का दावा किया जाता है। जैसे ही कोई इनका इस्तेमाल करता है वह ठगी का शिकार हो जाता है।

वैबसाइट पर लॉक का निशान देखें
आप किसी वैबसाइट से भुगतान कर रहे हैं तो सिक्योर सॉकेट्स लेयर (एस.एस.एल.) की जांच करें। यह एक तरह का सर्टीफिकेट होता है और उसी वैबसाइट को मिलता है जिसके सुरक्षित होने की गारंटी होती है। इसके तहत वैबसाइट के यू.आर.एल. में ताले का निशान होता है। इसके साथ यू.आर.एल. में ‘एस’ लिखा हुआ भी देखना चाहिए।

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