चीन को पटखनी दे भारत बनेगा लिथियम आयन सेल का किंग

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Feb, 2023 03:10 PM

beating china india will become the king of lithium ion cell

लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं वहीं कंपनियां भी तेजी से अपने पोर्टफोलियो में अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक व्हीकलों को शामिल कर रहे हैं लेकिन भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की ग्रोथ इन वाहनों के सबसे अहम पहलू लीथियम आयन बैटरी पर निर्भर...

नई दिल्लीः लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं वहीं कंपनियां भी तेजी से अपने पोर्टफोलियो में अधिक से अधिक इलेक्ट्रिक व्हीकलों को शामिल कर रहे हैं लेकिन भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की ग्रोथ इन वाहनों के सबसे अहम पहलू लीथियम आयन बैटरी पर निर्भर करता है। फिलहाल चीन की इसमें महारथ है और भारत की अधिकतर ईवी में चीन की बैटरी का ही इस्तेमाल होता है लेकिन भारत जल्द ही चीन को पटखनी देते हुए इस मार्केट का सिरमौर बनने की ओर बढ़ रहा है।

एक अध्ययन में यह कहा गया है कि सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) के तहत 50 गीगावॉट के लिथियम आयन सेल और बैटरी विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को 33,750 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। शोध संस्थान ‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू)’ ने मंगलवार को एक स्वतंत्र अध्ययन जारी किया जिसमें कहा गया है कि 2030 तक अपने वाहन एवं ऊर्जा क्षेत्रों को कार्बन मुक्त बनाने के लिए देश को 903 गीगावॉट के ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता होगी। 

सरकार की PLI स्कीम होगी महत्वपूर्ण 

सीईईडब्ल्यू ने इस अध्ययन रिपोर्ट में कहा, ‘‘50 गीगावॉट के लिथियम-आयन सेल एवं बैटरी विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना के सरकार द्वारा तय पीएलआई लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को 33,750 करोड़ रुपए (लगभग 4.5 अरब डॉलर) तक का निवेश करना होगा।’’ शोध संस्थान के ‘‘भारत लिथियम-आयन बैटरी के विनिर्माण में स्वदेशीकरण कैसे करेगा’’ शीर्षक वाले अध्ययन में यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए आवश्यकताएं क्या होंगी। इसके अलावा इसमें घरेलू रणनीति की एक रूपरेखा भी पेश की गई है। 

जम्मू कश्मीर में मिला है लीथियम का भंडार

इस महीने की शुरुआत में सरकार ने घोषणा की थी कि देश में पहली बार लिथियम भंडार मिला है जो जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित है और 59 लाख टन का है। बिजली से चलने वाले वाहनों में लगने वाली बैटरी में इस धातु का उपयोग किया जाता है। सीईईडब्ल्यू में वरिष्ठ कार्यक्रम प्रमुख ऋषभ जैन ने कहा, ‘‘हरित भविष्य के लिए लिथियम भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा जितने कि आज तेल और गैस हैं। धातु का न केवल संरक्षण करना बल्कि देश में सेल एवं बैटरी विनिर्माण की प्रणाली स्थापित करना भी भारत के रणनीतिक हित में है।’’ उन्होंने कहा कि इसकी मदद से आगे जाकर भारत के आयात में कमी आएगी।
 

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