Edited By Supreet Kaur,Updated: 01 Sep, 2018 03:13 PM
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस ने फ्रांस के साथ राफेल डील पर हस्ताक्षर करने से पहले भारत के सबसे बड़े और पुराने डिफेंस पार्टनर रूस से भी कॉन्ट्रैक्ट लेने की कोशिश की थी। हालांकि, रूस ने भारतीय साझेदार पीएसयू (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) से विचार...
नई दिल्लीः अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस ने फ्रांस के साथ राफेल डील पर हस्ताक्षर करने से पहले भारत के सबसे बड़े और पुराने डिफेंस पार्टनर रूस से भी कॉन्ट्रैक्ट लेने की कोशिश की थी। हालांकि, रूस ने भारतीय साझेदार पीएसयू (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) से विचार विमर्श करने के बाद रिलायंस के साथ करार करने से इनकार कर दिया था।
रूस ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ मिलकर 1 बिलियन डॉलर वाले Kamov KA-226 लाइट हेलीकॉप्टर का करार फिक्स किया। रूस के साथ रिलायंस तीन बड़ी डील पर करार करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। खबरों के मुताबिक, दिसंबर में पीएम मोदी के साथ अंबानी मॉस्को पहुंचे थे, जहां उनकी रूस के कुछ बड़े कॉन्ट्रैक्ट पर नजर थी। पीएम मोदी के साथ अपनी पहली मास्को यात्रा के दौरान अंबानी की नजर रूस के कामोव कॉन्ट्रैक्ट पर थी। वहीं, रिलायंस डिफेंस पहले से इस डील को लेकर रूस के साथ वार्ता कर कर रहा था। हालांकि, रूस ने पीएसयू का रास्ता ही अपनाया, क्योंकि HAL को रूसी कंपनियां पहले से ही जानती है, जिसने सुखोई विमान बनाए हैं।
रिलायंस डिफेंस ने रूसी यूनाइटेड शिप बिल्डिंग कॉर्पोरेशन (यूएससी) के साथ इंडियन पार्टनर बनने के रूप में अपने दावेदारी पेश की। यूएससी ने उस वक्त एक यूक्रेनी फर्म के साथ भी करार किया था जिसने युद्धपोत के इंजन बनाया था। जबकि रिलायंस डिफेंस को यूएससी द्वारा पसंदीदा यार्ड के रूप में चुना गया था, लेकिन सरकार ने प्रतिस्पर्धी बोली के तहत इस अनुबंध की प्रक्रिया को आगे नहीं किया, क्योंकि इसके लिए पहले से ही राज्य के स्वामित्व वाली गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) का नाम आगे आ चुका था।