बैंकों के लिए शुभ नहीं है नए साल की शुरुआत, 30 हजार करोड़ रुपए हो सकता शुरुआती झटका

Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Jan, 2020 02:00 PM

beginning of new year is not auspicious for banks 30 thousand crores

भारतीय बैंकों के लिए नए साल की शुरुआत अच्छी नहीं है। दरअसल, बैंकों को DHFL, अनिल अंबानी की रिलायंस होम फाइनैंस, केकेआर के सपॉर्ट वाली कॉफी डे एंटरप्राइजेज और CG पावर के लोन डिफॉल्ट के चलते करीब 30,000 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग करनी पड़ सकती है।

मुंबईः भारतीय बैंकों के लिए नए साल की शुरुआत अच्छी नहीं है। दरअसल, बैंकों को DHFL, अनिल अंबानी की रिलायंस होम फाइनैंस, केकेआर के सपॉर्ट वाली कॉफी डे एंटरप्राइजेज और CG पावर के लोन डिफॉल्ट के चलते करीब 30,000 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग करनी पड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों के डेट रेजॉल्यूशन को लेकर अब तक कुछ पक्का नहीं हो पाया है। इसके चलते बैंकों की प्रोविजनिंग में सितंबर तिमाही में दिखी कमी का दौर दिसंबर तिमाही में पलट सकता है। कुछ लेंडर्स एहतियात बरतते हुए वोडाफोन आइडिया के अकाउंट के लिए भी प्रोविजनिंग पर विचार कर सकते हैं। दरअसल कंपनी के एक अहम ओनर ने संकेत दिया है कि सरकारी सपॉर्ट नहीं मिलने पर वह इस बिजनस से हट सकते हैं।

यस सिक्यॉरिटीज के लीड ऐनालिस्ट राजीव मेहता ने कहा, 'प्रोविजिनिंग बढ़ाने का फैसला तो बैंकों के विवेक पर निर्भर करता है लेकिन ज्यादातर बैंक ज्यादा प्रोविजन कवरेज रेश्यो वाला सिस्टम अपना रहे हैं, इसलिए बाजार उनसे इन स्ट्रेस्ड ऐसेट के लिए ज्यादा प्रोविजनिंग किए जाने की उम्मीद कर रहा है।' सबसे ज्यादा दिक्कत DHFL के मामले में आ सकती है क्योंकि रिजर्व बैंक के रूल्स के मुताबिक किसी लोन अकाउंट के NCLT के पास भेजे जाने पर उसके लिए 40% प्रोविजनिंग उसी साल करना जरूरी होता है।

बैंकरप्ट हो चुकी होम लोन कंपनी में फाइनैंशल सिस्टम का 87,000 करोड़ रुपए का एक्सपोजर है लेकिन ज्यादातर बैंकों ने इसके लिए बमुश्किल 10-15% की प्रोविजनिंग की है। सिर्फ DHFL के लिए बैंकों पर 25,000 करोड़ रुपए के सिस्टम लेवल प्रोविजनिंग का बोझ पड़ेगा। रिलायंस होम फाइनैंस में बैंकों का 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का एक्सपोजर है जबकि CCD में उनके 4,970 करोड़ रुपए और CG पावर में 4,000 करोड़ रुपए से ज्यादा लगे हुए हैं।

दूसरा बड़ा लोन अकाउंट वोडाफोन आइडिया का है जिनमें लेंडर्स को प्रोविजनिंग को लेकर फैसला करना है। टॉप मैनेजमेंट ने हाल में लेंडर्स को आगाह किया था कि अगर टेलिकॉम डिपार्टमेंट बकाया वसूली के लिए बैंक गारंटी भुनाने का फैसला करता है तो सरकार से तुरंत राहत नहीं मिलने की सूरत में उनकी तरफ से समय पर लोन रिपेमेंट संभव नहीं हो पाएगा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया वोडाफोन आइडिया का लीड लेंडर है और कंपनी में इसका 12,000 करोड़ रिपए का एक्सपोजर है। कंपनी पर कुल 1.17 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है।

एक सीनियर बैंकर ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, 'स्लो रेजॉल्यूशन के चलते यह चिंता होने लगी है कि एस्सार केस में हुआ फायदा दिसंबर और मार्च क्वॉर्टर में प्रोविजनिंग लॉस को कवर करने में खप जाएगा। हमें लगता है कि हालात बदल गए हैं लेकिन खासतौर पर मार्च क्वॉर्टर सेक्टर के लिए बहुत अहम साबित होगा।' रिजर्व बैंक की तरफ से हाल में जारी स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन बैंकिंग सिस्टम अब तक मुश्किलों से नहीं उबर पाया है। आठ साल में पहली बार बैड लोन में सालाना गिरावट के बाद आने के बाद फिर से उसका पर्सेंटेज बढ़ सकता है।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!