दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देश के मध्य और उत्तरी हिस्सों में देरी से ही सही मगर सुधरने के संकेत दिखा रहा है। इससे सरकारी अधिकारी 2018-19 में खरीफ फसलों के उत्पादन का अनुमान जता रहे हैं।
नई दिल्लीः दक्षिण-पश्चिम मॉनसून देश के मध्य और उत्तरी हिस्सों में देरी से ही सही मगर सुधरने के संकेत दिखा रहा है। इससे सरकारी अधिकारी 2018-19 में खरीफ फसलों के उत्पादन का अनुमान जता रहे हैं। हालांकि ऐसा होने से फसलों की कीमतें लुढ़क सकती हैं, जिससे किसानों की आय पर असर पड़ेगा। सरकार का पास तिलहन और दलहन का पहले ही 55 लाख टन से अधिक का स्टॉक है, जो इन जिंसों की कीमतों में नरमी ला सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 7 सितंबर को 7 फीसदी से कम था लेकिन इसकी मुख्य वजह सीजन की शुरुआत में कम बारिश होना है। सितंबर के इस खत्म हुए सप्ताह में बारिश सामान्य से करीब 18 फीसदी कम रही लेकिन यह पीछले कुछ सप्ताह की तुलना में कम रही। पिछले कुछ सप्ताह में बारिश सामान्य से 25 फीसदी से अधिक कम रही है।
मौसम अधिकारियों की कहना है कि जिन जिलों में बारिश सामान्य से कम रही है, उनमें इसकी वजह मॉनसून सीजन की शुरूआत में कम बारिश होना रही है। गुरुवार को कटाई के बाद फसलों की प्रबंधन करने वाली निजी कंपनी नैशनल कॉलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (एनसीएमएल) ने 2018-19 में खरीफ फसलों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में कुल खाद्यान उत्पादन को घटाकर 13.67 करोड़ टन कर दिया, जो उसके पिछले कुछ महीने पहले जारी अनुमान 13.77 करोड़ टन से थोड़ा कम है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बारिश में सुधार से खरीफ फसलों की बुआई और उसके अंतिम उत्पादन पर असर को लेकर चिंताएं खत्म हो गई हैं। अब हमें 2018-19 में खरीफ के भारी उत्पादन की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा, '2017-18 में खरीफ का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था, इसलिए उत्पादन में मामूली गिरावट से कोई असर नहीं पड़ेगा।'
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