भारती इंफ्राटेल ने वोडाफोन-आइडिया से मांगे 4500 करोड़ रुपए

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Jan, 2019 02:33 PM

bharti infratel indus towers seeks rs 4 500 crore from voda idea

भारती इंफ्राटेल और वोडाफोन-आइडिया के बीच 4,500 करोड़ रुपए की रकम को लेकर खींचतान की स्थिति बन गई है। भारती इंफ्राटेल का दावा है कि टेलीकॉम कंपनी को उसे और इंडस टॉवर्स को यह रकम अनुबंध में तय समयसीमा से पहले टॉवर खाली करने (एग्जिट पेनाल्‍टी) के लिए...

नई दिल्लीः भारती इंफ्राटेल और वोडाफोन-आइडिया के बीच 4,500 करोड़ रुपए की रकम को लेकर खींचतान की स्थिति बन गई है। भारती इंफ्राटेल का दावा है कि टेलीकॉम कंपनी को उसे और इंडस टॉवर्स को यह रकम अनुबंध में तय समयसीमा से पहले टॉवर खाली करने (एग्जिट पेनाल्‍टी) के लिए चुकानी होगी। इंडस टॉवर्स, भारतीय इंफ्राटेल और वोडाफोन-आइडिया के दो सबसे बड़े शेयरहोल्‍डर्स- आदित्‍य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन plc का संयुक्‍त उपक्रम है। वोडाफोन-आइडिया इससे बाहर हो गया क्‍योंकि उसे विलय के बाद इतने टॉवर स्‍लॉट्स की जरूरत नहीं रह गई है।

एक खबर के अनुसार, भारती इंफ्राटेल और इंडस टॉवर्स ने 4,500 करोड़ रुपए की मांग की है, इस पर वोडाफोन-आ‍इडिया को आपत्ति है। वोडाफोन-आ‍इडिया का कहना है कि उसे कोई भुगतान करने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि वह किराएदारी समझौते से पूरी तरह से अलग नहीं हुई है, बल्कि दो किराएदारों को एक में बदल दिया है। उन्‍हीं साइट्स पर अतिरिक्‍त लोड के साथ वह समझौते में बनी हुई है। कंपनी ने किसी तरह की इमर्जेंसी में एग्जिट पेनाल्‍टी चुकाने के लिए 1,000 करोड़ रुपए का पहले से प्रबंध कर रखा है।

वोडाफोन-आइ‍डिया के प्रवक्‍ता ने इस बारे में कोई बयान देने से इनकार कर दिया। भारती इंफ्राटेल ने भी कहा कि वह 'पार्टनर्स के साथ जारी चर्चा' पर कुछ नहीं कहना चाहती। इंडस टॉवर्स और भारत इंफ्राटेल के विलय की प्रक्रिया चल रही है। यह विवाद ऐसे समय में उत्‍पन्‍न हुआ है जब दोनों कंपनियां वित्‍तीय संकट के मुहाने पर खड़ी हैं।

वोडाफोन-आइ‍डिया को 30 सितंबर, 2018 को खत्‍म हुई तिमाही में 4,950 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, उसके राजस्‍व में भी 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा वोडाफोन और आइडिया के विलय की जटिल प्रक्रिया भी अभी चल रही है। दूसरी तरफ, भारत की इकलौती लिस्‍टेड टॉवर कंपनी, भारती इंफ्राटेल और इंडस टावर्स टेलीकॉम कैरियर्स की मजबूती के चलते वित्‍तीय दबाव झेल रही हैं। दो साल पहले जहां निजी क्षेत्र में 8 ऑपरेटर थे, वहीं अब यह संख्‍या घटकर सिर्फ तीन रह गई है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, वोडाफोन-आइडिया ने पुराने उदाहरण दिए हैं जिनमें टेलीकॉम कंपनियों ने टॉवर कंपनी को बिना कोई एग्जिट पेनाल्‍टी नहीं चुकाई। भारती इंफ्राटेल ने पहले कहा था कि वोडाफोन और आइडिया के 28,000 टॉवरों से हटने पर उसे हर साल करीब 780 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
 

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