Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Jun, 2022 06:16 PM
उद्योग निकाय ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने सार्वजनिक और निजी 5जी नेटवर्क के बीच समानता रखे जाने की दूरसंचार कंपनियों की मांग को ''बेतुका और अव्यावहारिक'' बताते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों पूरी तरह से अलग स्तर पर सेवाओं के अलग-अलग समूह हैं और एक...
नई दिल्लीः उद्योग निकाय ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने सार्वजनिक और निजी 5जी नेटवर्क के बीच समानता रखे जाने की दूरसंचार कंपनियों की मांग को 'बेतुका और अव्यावहारिक' बताते हुए मंगलवार को कहा कि दोनों पूरी तरह से अलग स्तर पर सेवाओं के अलग-अलग समूह हैं और एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं।
बीआईएफ ने अपने एक बयान में कहा कि सबको समान अवसर दिए जाने की सदियों पुरानी अवधारणा निजी 5G नेटवर्क के मामले में लागू नहीं हो सकती है। इसकी वजह यह है कि उनके पास कई खास लक्षण हैं जो उन्हें सार्वजनिक नेटवर्क से अलग करते हैं और उनके साथ तुलना 'किसी तर्क या आधार के बगैर' की जा रही है।
संगठन के अध्यक्ष टी वी रामचंद्रन ने कहा, "कैप्टिव निजी नेटवर्क के लिए उद्यमों के साथ समानता वाले अवसर की तलाश करना किंडरगार्टन में एक बच्चे को डॉक्टरेट की डिग्री वाले किसी व्यक्ति के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए कहने जैसा है।" उन्होंने कहा कि निजी नेटवर्क को बैंड में स्पेक्ट्रम नहीं दिए जाने का सुझाव भी अन्यायपूर्ण है। दूरसंचार कंपनियों के व्यवसाय पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भर करते हैं, जबकि निजी नेटवर्क वाले उद्यम व्यवसायों के मामले में ऐसा नहीं है।
रामचंद्रन ने कहा, "दुनिया में कहीं भी कोई परिपक्व नियामक शून्य या न्यूनतम बाजार हिस्सेदारी वाली कंपनी पर नियमन नहीं लगाता है।" दूरसंचार विभाग की तरफ से 5जी नीलामी के पहले आयोजित एक सम्मेलन में दूरसंचार कंपनियों ने निजी कैप्टिव नेटवर्क संबंधी निर्णय पर अपनी चिंताएं जाहिर की थीं। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने हाल ही में निजी नेटवर्क पर सरकार के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए दूरसंचार विभाग को पत्र लिखा था।