Edited By ,Updated: 07 Mar, 2017 11:41 AM
नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) से सायरस मिस्त्री को राहत नहीं मिलती दिख रही है।
नई दिल्लीः नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) से सायरस मिस्त्री को राहत नहीं मिलती दिख रही है। ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री परिवार की दो कंपनियों की ओर से टाटा संस से मिस्त्री को हटाए जाने के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को खारिज कर दिया। उसने कहा कि ये याचिकाएं विचार योग्य नहीं हैं। वजह बताई कि याचिकाएं ट्रिब्यूनल में दायर किए जाने संबंधी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती हैं।
याचिकाएं विचार योग्य नहीं
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि वह मिस्त्री की कंपनियों की अन्य याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। इस याचिका में टाटा संस के खिलाफ एनसीएलटी में जाने के लिए कंपनी कानून के तहत 10 फीसद शेयरहोल्डिंग के पात्रता मानदंड में छूट की मांग की गई है। बीएसवी प्रकाश कुमार (सदस्य-न्यायिक) और वी नेल्लासेनापति (मेंबर-टेक्निकल) की डिवीजन बेंच ने कहा कि मिस्त्री की कंपनियां कंपनी कानून के तहत न्यूनतम 10 फीसद शेयरहोल्डिंग के पात्रता मानदंड पर संतुष्ट करने में विफल रहीं। लिहाजा ये याचिकाएं विचार योग्य नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने किया याचिकाओं का विरोध
टाटा संस ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार याचिकाकर्ता कंपनी काननू के तहत माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के रूप में एनसीएलटी के समक्ष ऐसी याचिकाएं दायर करने का पात्र नहीं है। टाटा संस ने दलील दी कि अगर तरजीही पूंजी को भी शामिल किया जाता है तो भी याचिका दायर करने वाली दोनों कंपनियों की टाटा संस की जारी शेयर पूंजी में केवल 2.17 फीसद होल्डिंग ही है। मिस्त्री परिवार की कंपनियों ने गुहार लगाई कि एक्ट के तहत एनसीएलटी याचिकाकर्ता की शेयरहोल्डिंग संबंधी इस आवश्यकता को लेकर छूट दे सकता है।